जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं नेताओं की बयानबाजी शुरु हो गई है। पुराने मुद्दों को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करना नेताओं का फेवरेट काम बन चुका है। जब चुनाव सिर पर हो किसी का कोई विवाद वाला बयान सामने ना आए ऐसा होना मुश्किल है। मौलाना अरशद मदनी ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे को लेकर ऐसा ही बयान दिया है। इस पर बोलकर मदनी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
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मौजूदा सरकार मुस्लिम दुश्मनी की बद्तरीन मिसाल
यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी कि समान नागरिक संहिता को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में कहा कि पिछले 1300 सालों में आज तक किसी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छेड़ा है। लेकिन पिछले 8-9 सालों से मौजूदा सरकार मुस्लिम दुश्मनी की बद्तरीन मिसाल पेश कर रही है। केंद्र सरकार संविधान का नाम लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ के साथ छेड़छाड़ कर रही है ये बदकिस्मती की बात है।
लॉ कमीशन ने इस मुद्दे पर जनता से सुझाव भी मांगे है। मदनी ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि कुछ संप्रदायिक ताकतें मुसलमानों के हौसलें को तोड़ना चाहती है। साथ ही अपने धर्म के नियमों को मानने से दूर करना चाहती है लेकिन भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ में जीते आए हैं और इसी पर जीना चाहते हैं, इसी पर मरना चाहते हैं।
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मदनी ने दारुल उलूम में अंग्रेजी पढ़ने को लेकर भी स्पष्टीकरण दिया। उन्होनें कहा कि मेरे बयान को घुमा फिराकर पेश किया गया है। दारुल उलूम और अंग्रेजी का सिलेबस अलग-अलग है। दोनों को एक साथ नहीं पढ़ा जा सकता। ऐसे में बच्चा ना तो इधर का रहता है ना उधर का। दारुल उलूम के सिलेबस के बाद अंग्रेजी पढ़ें, हमे कोई दिक्कत नहीं।