Categories: भारत

मां अनकहा किरदार है, जिसका ना प्रारंभ है ना अंत

ओशो ने अपने वक्तव्य में कहा था। पुरुष कभी आधा पागल नहीं होता और स्त्री कभी पूरी पागल नहीं होती। क्या इसमें सचमुच सच्चाई है?
तब आंखों के आगे एक पुरानी फिल्म घूमने लगी।  जिसमें जया प्रदा एक पागल मां का किरदार निभाती है। उस मां के किरदार में भी वह अपने बच्चे को नहीं भूल पाती।सचमुच इस कथन में सच्चाई का अंश तो है। ऐसे लाखों उदाहरण हमारे आसपास, समाज में देखने को मिलेंगे।

जब एक मां कहीं पागलखाने में बैठी- बैठी पुरानी यादों को याद कर मुस्कुरा रही होती है। या कोई मां पागल खाने से भी लौट आती है। क्योंकि वह एक मां है। उसे पागल होने का भी हक नहीं या यूं कहें उसकी स्मृतियों में उसकी रग- रग में बच्चे इस तरह से रच बस जाते हैं कि वह अपने कॉन्शियस और अनकॉन्शियस माइंड से

उन्हें निकाल नहीं पाती और शायद इसलिए, वह पूरी पागल भी नहीं हो पाती। बच्चे चाहे उनके साथ कितना भी दुर्व्यवहार कर ले। फिर भी वह उनकी गलतियों को भूल जाती है। शायद तभी वृंदावन की गलियों में अनेक माएं आपको वृद्धाश्रम में मिल जाएंगी।

एक मां, एक महिला, एक मनुष्य भी है, हम क्यों भूल गए? आज हमारा समाज उसके साथ क्या कर रहा है? जयपुर शहर के व्यस्त चौराहे पर नग्न अवस्था में क्षत-विक्षत हालत में मानसिक रूप से विकृत एक महिला समाचारों की सुर्खियों में छाई है। एक सभ्य और सुसंस्कृत परिवार की महिला के साथ-साथ एक सभ्य समाज की सदस्य है। लेकिन क्या हो रहा है आज हमारे समाज में? यह उसका साक्षात जीता जागता उदाहरण है।
 

ना आदि है ना मध्य ना अंत

दया, ममता, करुणा, क्या मां सिर्फ इसी की परिचायक है या इससे आगे साहस, शौर्य, बलिदान का भी प्रतीक है? हां, सब जानते हैं जो बिन कहे सब समझ जाती है। वह मां ही है।  उसका ना आदि है ना मध्य है ना अंत। उसे किसी एक ढांचे में नहीं ढाला जा सकता। उसे किसी एक रंग में नहीं बदला जा सकता। वह जल के समान किसी भी रंग, रूप, आकार में ढल जाती है। वह शीतल सोम भी हैं। उसका सौम्य स्वभाव चंद्रमा सी चांदनी और शीतलता भरी छांव है। वह ग्रहों में पृथ्वी तुल्य है। जो पूरा भार अपने ऊपर लेकर भी उफ तक नहीं करती। 

कभी देखा है आकाश में, हमारे सौरमंडल में पृथ्वी को ग्रहण लगते हुए? जीवन अभी तक तो पृथ्वी पर ही संभव है। अन्य ग्रहों पर नहीं। मां पृथ्वी तुल्य है। 
जो पिता रूपी सूर्य और पुत्र रूपी चंद्रमा में सामंजस्य, संतुलन बैठाने का काम करती है। सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण में खुद को खींचा हुआ महसूस करके भी यही कोशिश करती है कि  अगर उसे साढ़े 23 डिग्री अक्षांश पर झुकना भी पड़े तो भी क्या? कम से कम वह प्रकाश की किरणों को, सूर्य की ऊष्मा को अपने बच्चों, परिवार के सभी सदस्यों तक समय पर पहुंचा सके।

तभी गृहिणी को घर की धुरी भी कहा जाता है। उसकी सहनशक्ति असीमित, अपरिमित और अद्भुत है। लेकिन अब पृथ्वी रूपी महिला का चुंबकीय ध्रुव खिसक रहा है। इसके कारण अनेक और विस्तृत है। किंतु इसका खामियाजा सबसे ज्यादा पृथ्वी रूपी स्त्री को ही भोगना पड़ रहा है। आपको नहीं लगता इसका सीधा सीधा प्रभाव हमारे परिवार, परिवेश, परिस्थितियों  पर पड़ रहा है?

मां रूपी महिला की उत्पत्ति से संबंधित एक पहेली याद आती है। जो हम अक्सर सुनते आ रहे हैं। लेकिन आज तक उसका मुझे तो उत्तर नहीं मिला।
 प्रश्न यह है कि पहले मुर्गी आई या अंडा पहले मां आई या बच्चा शायद इसीलिए मेरे लिए मां ना आदि है ना मध्य है ना अंत बिल्कुल ईश्वर तुल्य एक सुसंस्कृत मां अपने बच्चे को गर्भ में कोख में कुपल की तरह पालती है। उसे अपने रक्त से सींचती है, अनकंडीशनल बिना किसी कंडीशन के अगर कोई किसी को चाहता है तो वह मां ही है। वह चाहे तो उसे अभिमन्यु की तरह बना सकती है। दुनिया के कुरुक्षेत्र में उसे लड़ना सिखा सकती है। आज जिस प्रकार से बच्चे और युवा अवसाद, डिप्रेशन और निराशा में आत्महत्या कर रहे हैं। उससे निकालने में भी मां सहयोग कर सकती है।

मां के सतीत्व की परीक्षा

न्याय की मूर्ति भी देवी ही है। इससे याद आया मां अनुसूया पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब ब्रह्मा, विष्णु, महेश एक सती के सतीत्व की परीक्षा लेने आते हैं। तब सती अनुसूया तीनों को श्राप देकर बच्चा बना देती है। यह मां का ही प्रताप है। जिससे भगवान को भी बाल रूप में आना पड़ता है।

मां को निर्वस्त्र करने की शर्त तो त्रिदेव को भी भारी पड़ी तो मनुष्य क्या चीज है जन्म देने के लिए मां के गर्भ की आवश्यकता पड़ती है। इसी संदर्भ में मां जीजाबाई जिन्होंने  शिवाजी जैसा प्रतापी पुत्र पैदा किया। उन्हें इतिहास कैसे भूल सकता है? हमारा इतिहास ऐसी अनगिनत, अनकही कहानियों से पटा हुआ है। जिसमें मां का योगदान अग्रणीय रहा। 
याद है सिंधु घाटी की सभ्यता जो मात्तृ प्रधान थी। गौतमीपुत्र सातकर्णि जिसने सातवाहन वंश का गौरव बढ़ाया फिर हमारी भारत भूमि वह भी तो मां ही है।
पशु पक्षियों की मां से सीख

 इससे इतर हम उन पशु, पक्षियों, जानवरों को कैसे भूल गए। जिनमें भी मां का ममत्व , करुणा, दया है। क्या कभी सोचा है आपने क्या सीख सकते हैं हम पशु पक्षी और जानवरों की मां से?
 

क्या सिखाती है पशुओं की मां हमें?
वे भी अपने बच्चों को अनकंडीशनल प्यार देती है। इनका निश्चल, निस्वार्थ प्रेम इस बात का परिचायक है कि इन्हें अपने बच्चों से आने वाले भविष्य में कोई आशा, उम्मीद नहीं होती। इन्हें नहीं पता कि आने वाले भविष्य में इनके बच्चे इन्हें भोजन देंगे या नहीं, इनका ध्यान रखेंगे या नहीं, फिर भी यह मां अपने बच्चों को उतना ही प्यार उतना ही स्नेह करती है, जितना हम और आप। फिर अंतर कहां है?

कभी- कभी तो ऐसा लगता है, शायद हम से भी बेहतर शिक्षा यह अपने बच्चों को देती है। कभी देखना इन्हे जब इनके बच्चे युवा होने लगते हैं। चाहे वह शेरनी हो या कबूतर अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें जीवन के मैदान में लड़ना सिखाते हैं, उन्हें उड़ना सिखाते हैं, ऐसा नहीं करते कि अगर बच्चा युवा हो गया। तब भी उसे बैठाकर खाना खिलाते हैं। इसलिए क्योंकि कभी-कभी हर चीज की अति भी नुकसान देय होती है। ऐसा ही कुछ हम जैसी माओ को भी करना चाहिए। हमें भी अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना है। उन्हें अपने ऊपर निर्भर नहीं बनाना है।
 

मूक भाषा है मां

 एक नन्हे से बच्चे ने खाली पन्ने पर मां शब्द लिखा और उसके नीचे एक सैड इमोजी बना दी। बस इतना करने से भी एक अध्यापिका जो खुद एक मां थी सब समझ गई और शायद वह हर इंसान समझ जाएगा जो संवेदनाओं, भावनाओं अनुभूतियों और स्पंदन से भरा हुआ है।

मदर्स डे कोई स्पेशल दिन नहीं है कि हम सिर्फ उसी दिन अपनी मां को याद करें। यह तो पाश्चात्य संस्कृति का एक दिखावा मात्र है, जो हमारी संस्कृति में भी रस बस गया है। अगर हम सचमुच संवेदनशील और मां के प्रति आदरणीय है, तो क्या हमने उसे समझा है? शायद नहीं। मां एक मूक भाषा है। जिसके लिए ना शब्दों की जरूरत है ना वाणी  बस एहसास ही काफी है

Morning News India

Recent Posts

नेवटा में खाद्य सुरक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई, गंदगी वाली जगह भरा जा रहा था बोतल बंद पानी

Jaipur News : जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) के निर्देश पर…

15 घंटे ago

प्रद्युमन कुमार और वरिष्ठ नेता बराड़ का निधन संगठन- भाजपा परिवार के लिए अपूरणीय क्षति : Madan Rathore

Madan Rathore News : जयपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ (Madan Rathore) आज (गुरूवार) श्रीगंगानगर…

16 घंटे ago

पानी सिर से ऊपर निकला… तो अपनी ही सास की सास बनी जयपुर की शुभी शर्मा!

जयपुर। Sas Ki Sas Banungi Main : राजस्थान की राजधानी जयपुर अपनी कई खूबियों की…

17 घंटे ago

Kirodi Meena ने पहना दोगलेपन का लिबास मुंह में राम बगल में छुरी, हो गया बड़ा खुलासा!

Kirodi Meena News : राजस्थान में जहां एक ओर उपचुनावों के नतीजे आने वाले हैं।…

17 घंटे ago

भजनलाल सरकार का बड़ा उलटफेर, Hanuman Beniwal और Rajkumar Roat की नींद उड़ी

Hanuman Beniwal  News : जयपुर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग…

18 घंटे ago

मतगणना से पहले बढ़ी Hanuman Beniwal की टेंशन, हारे तो खत्म हो जायेगी RLP !

Hanuman Beniwal News : जयपुर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे है,…

18 घंटे ago