नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पर अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा सुनाया गया। जिसमें यदि शादी टूटने की कगार पर है तो सुप्रीम कोर्ट तलाक का आदेश दे सकती हे। पांच जजों की पीठ ने कहां यह फैसला अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्ति का इस्तेमार कर दादेश दिया जा सकता है। इस आर्टिकल के तहत बिना फैमिली कोर्ट जाए तलाक को मंजूरी मिल सकेगी। कोर्ट ने कुछ फैक्टर्स तय किए हैं जिनके आधार पर शादी को सुलह की संभावना से परे माना जा सकेगा।
पूर्ण न्याय करने का अधिकार शीर्ष अदालत को
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मामले पर कहा शीर्ष अदालत को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत को न्याय करने का अधिकार है। इस अधिकार का प्रयोग करते हुए वह फैसला सुना सकती है। न्यायमूर्ति एसके कोहली की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, ए एस ओका, विक्रम नाथ और जे के माहेश्वरी शामिल थे। पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा विवाह के अपरिवर्तनीय टूटने के आधार पर विवाह को भंग करना संभव है। फैसला सुनाते हुए कहां शीर्ष अदालत को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्याय करने का अधिकार है या नहीं यह कभी भी संदेह या बहस का मुद्दा नहीं रहा।
मामले पर लंबी चली सुनवाई
यह मामला 5 जजों की संविधान पीठ को 29 जून 2016 को भेजा गया था। पूरे मामले पर लंबी सुनवाई चली और इसका फैसला 20 सितंबर 2022 को सुरक्षित रखा गया। इस पूरे मामले पर 5 सदस्य पीठ ने कहा थोड़ा समय लगता है सामाजिक परिवर्तन में कानून लाना इतना आसान नहीं होता। कानून लाने के साथ ही समाज को बदलाव के लिए राजी करना मुश्किल होता है। इस पूरे मामले में नए मित्रों को भी शामिल किया गया। पूरे मामले में न्याय मित्र की भूमिका कपिल सिब्बल, वी गिरी, मीनाक्षी अरोड़ा, इंदिरा जयसिंह, दुष्यंत दवे जैसे कई सीनियर एडवोकेट ने अदा की। इस पूरे मामले पर इंदिरा जयसिंह ने कहा पूरी तरह खत्म हो चुके शादी के रिश्ते को आर्टिकल 142 के तहत खत्म किया जाना चाहिए। मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा यह आर्टिकल न्याय बराबरी और अच्छी नियत वाले विचारों को साकार करता है।