जयपुर। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के इस्तीफा देने के बाद दिल्ली में सियासी बवाल भले की शांत लग रहा हो…लेकिन ऐसा है नहीं….. केजरीवाल इस्तीफा देकर और ज्यादा बुरी तरह फंस सकते है….केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसा गेम खेला है जिससे अब केजरीवाल अधर में लड़क सकते है….और आतिशी की बल्ले हो सकती है….अगर ऐसा हो गया तो फिर आने वाले 4 साल तक लगातार आतिशी ही दिल्ली पर राज करेगी….तो चलिए जानते है यह पूरा क्या मामला है।
देश में वन नेशन-वन इलेक्शन लागू करने के लिए केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है….इसके जरिए सरकार 2029 तक देश में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की तैयारी कर रही है….इसको लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने का ब्लूप्रिंट तैयार किया है….इसके तहत एक साथ चुनाव कराने के लिए 2029 को ‘निर्धारित तिथि’ माना जाएगा……इसके बाद होने वाले चुनाव से गठित होने वाली विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक ही रहेगा……इसका मतलब यह है कि अगर दिल्ली की विधानसभा 2025 में खत्म हो रही हो….लेकिन 2029 तक विधानसभा को भंग नहीं किया जा सकेगा…..दिल्ली सरकार के भी चुनाव 2029 में ही होंगे…..अगर ऐसा हुआ तो तब तक आतिशी ही दिल्ली पर राज करेगी….अरविंद केजरीवाल 4 सात तक इंतजार की करते रहेंगे…..हालांकि एक साथ चुनाव करवाने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा।
देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए अनुच्छेद 82 ए, जनप्रतिनिधि सदन के कार्यकाल संबंधी अनुच्छेद 83.2., 83.3. और 83.4. के अलावा विधानसभाओं के कार्यकाल संबंधी अनुच्छेद 172.3.. 172.4., 175.5. और 327 में संशोधन करना होगा।
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अगर ऐसा हो गया तो कई राज्यों के चुनाव स्थगित हो सकते है…..दिल्ली और बिहार की विधानसभा का कार्यकाल 2025 में ही खत्म हो रहा है….पं. बंगाल, तमलिनाडु, असम, केरल और पुदुचेरी विधानसभा का कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है,,,,वही मणिपुर, गोवा, पंजाब, उत्तराखंड़ और उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2027 और गुजरात की विधानसभा का कार्यकाल दिसंबर 2027 तक है…..वही हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटक, तेलंगाना, मिजोरम, मध्यप्रेदश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की विधानसभाओं का कार्यकाल 1 जनवरी 2028 से 19 दिसंबर 2028 के बीच समाप्त होना है। इनके चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ 2029 में कराने के लिए टाले जा सकेंगे…..आम चुनाव के साथ अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव भी कराए जा सकेंगे….ऐसे में अब दिल्ली के चुवान भी टल सकते है…..टल गए तो अरविंद केजरीवाल अधर में लटक जाएंगे…..
एक देश एक चुनाव पर विचार करने के लिए गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने 14 मार्च को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी….. रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने एक देश एक चुनाव पर 62 दलों से संपर्क किया था। इनमें से 47 ने जवाब दिया। 32 दलों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया, 15 दलों ने इसका विरोध किया और 15 दलों ने कोई जवाब नहीं दिया। कांग्रेस, आप, बसपा और माकपा ने एक देश एक चुनाव प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि भाजपा और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने इसका समर्थन किया। हाईकोर्ट के 9 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि हाईकोर्ट के 3 मुख्य न्यायाधीशों ने एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव का विरोध किया।
अब देखना होगा कि कब तक वन नेशन वन इलेक्शन लागू होता है….अगर दिल्ली चुनाव से पहले यह हो गया तो चुनाव टल सकते है और अरविंद केजरीवाल को सीएम की कुर्सी के लिए लंबा इंतजार करना पड सकता है।
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