Paryavaran Divas 2024 : पर्यावरण कहने को मात्र एक शब्द है, लेकिन सही मायने में अगर देखा जाए तो ये हमारे ज़िन्दगी के लिए नैसर्गिक ऊर्जा का एक अनुपम स्त्रोत है। प्रकृति की ओर से पृथ्वी के लिए बनाया गया एक ऐसा अनोखा रक्षा कवच जो न केवल धरती पर जीवन की रक्षा करता है बल्कि हमें कई तरह की क़ुदरती नेअमतों से भी नवाज़ता है। हां वो बात अलग है कि हमने पर्यावरण का अंधाधुंध दोहन किया है, कभी इसकी कदर ही नहीं की। तभी तो आज ऑक्सीजन के लिए मारामारी हो रही है. धरती पर जंगल खत्म होते जा रहे हैं, कंक्रीट का जंजाल हर तरफ फैल चुका है, धूप में छांव देने वाले पेड़ बहुत कम नजर आते हैं आजकल। आज हम भले ही पर्यावरण दिवस मनाने के नाम पर बड़े बड़े स्टेटस लगा लें लेकिन हकीकत ये है कि हमसे एक पेड़ भी नहीं लगता है। गलती से लगा दिया तो उसकी सार संभाल कोई नहीं करता है। असली पर्यावरण दिवस (Paryavaran Divas 2024) मनाना है तो खूब पेड़ लगाएं और अपनी जिम्मेदारी समझे।
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पर्यावरण को बचाने के लिए हमें जंगलों को नया जीवन देकर, पेड़-पौधे लगाकर, बारिश के पानी को संरक्षित करना होगा। तालाब के निर्माण से हम पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से पुनर्जीवित कर सकते हैं। हमें सोशल मीडिया पर बढ़-चढ़कर (Paryavaran Divas 2024) स्टेटस लगाने के बजाय जमीनी स्तर पर काम करना होगा। पेड़ लगाने होंगे, लगाने के बाद उनकी देखभाल भी करनी होगी, प्रदूषण कम करना होगा, प्लास्टिक के बजाय कुदरती चीजों का इस्तेमाल करना होगा, जहां भी जैसे भी मौका मिले पर्यावरण के लिए काम करना होगा, जैसे हम अपना निजी काम करते हैं। तब कहीं जाकर हम सही मायने में पर्यावरण का असल हक अदा कर पाएंगे।
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पर्यावरण प्रदूषण जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है उसकी वजह से प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सबसे ज़्यादा जरूरी है कि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए। इसी उद्देश्य के साथ हम हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हैं। पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी। इसी देश में दुनिया का सबसे पहला पर्यावरण सम्मेलन भी आयोजित किया गया था इस सम्मेलन में कुल 119 देशों ने हिस्सा लिया था। इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की नींव रखी गई थी और हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने का संकल्प भी लिया गया था। सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती समस्या की वजह से विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की पहल की गई। हमारे देश में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रकृति और पर्यावरण के प्रति चिंताओं को जाहिर किया था।
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हर साल एनवायरमेंट डे की एक थीम होती है जिसे यूएनओ डिसाइड करता है। पिछले साल पर्यावरण दिवस की थीम प्लास्टिक प्रदूषण के हल पर आधारित थी। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम “Land Restoration, Desertification And Drought Resilience” है। इस थीम (Environment Day Theme 2024) का मकसद ‘हमारी भूमि’ नारे के तहत भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे पर है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और बढ़ते प्रदूषण के चलते पर्यावरण दूषित होता जा रहा है। हमें अब बहुत सावधान रहना होगा। जैसी गर्मी इस साल पड़ रही है उससे पता चल रहा है कि ये धरती अब कुछ ही सालों तक रहने लायक बची है।
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