व्यक्तित्व
व्यक्तित्व जिसे पर्सनैलिटी भी कहते हैं। क्या होता है व्यक्तित्व? व्यक्ति का स्मार्ट दिखना, सुंदर दिखना क्या यहीं तक सीमित है व्यक्तित्व? इसमें शामिल है, आपका संपूर्ण चरित्र। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका रंग, रूप कैसा है? आप सुंदर है या नहीं ।पर्सनैलिटी अपने आप में व्यक्तिगत निखार के साथ-साथ सामाजिक समरूपता पर भी निर्भर करती हैं।
भगवान ने हर इंसान को अलग-अलग तरीके से सोचने समझने की शक्ति दी है। ऐसे में हमें अपने को कमतर ना आंकते हुए, अंतरात्मा की आवाज सुनकर पर्सनैलिटी को निखारने का प्रयास करना चाहिए। जब व्यक्ति अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनता है । तब निर्णय लेना अधिक स्पष्ट और सटीक होता हैं। खासकर महिलाएं कभी-कभी हीन भावना से ग्रस्त हो जाती हैं। उनके मन में नाना प्रकार के विचार घूमते रहते हैं। जिनकी वजह से कभी कभी अवसाद और डिप्रेशन का शिकार भी हो जाती हैं।
क्या करें क्या ना करें?
वैसे तो क्या करें इसका सभी को पता है। लेकिन क्या ना करें इस पर गंभीरता से सोचने वाली बात है। मनुष्य स्वभाव से अभिलाषा और मनोकामनाएं से भरा महत्वाकांक्षी प्राणी है। ऐसे में हर इंसान की आकांक्षा होती है कि वह भी ऊपर उठे, ऊंचाइयां प्राप्त करें।
सर्वगुण संपन्न की अवधारणा के आगे बढ़े
महिलाएं हमेशा बहुमुखी प्रतिभा की धनी होती हैं। किंतु कभी-कभी अत्यधिक प्रतिभा और चहुमुखी विकास के चक्कर में वे कुंठित और बीमार हो जाती हैं। ऐसे में स्वयं को सर्वगुण संपन्न बनने से रोके।
तो फिर क्या करें?
सभी कार्य में थोड़ी-थोड़ी महारत हासिल होने के बाद। एक कार्य ऐसा होना चाहिए। जिसमें उन्हें पूर्ण महारत हासिल हो। ऐसा करके वे अपने व्यक्तित्व का निर्माण कर सकती हैं।
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच एक ऐसा हार्मोन है। जिसे मस्तिष्क में अधिक से अधिक प्रवाहित करने की कोशिश करनी चाहिए। हां, सोच इंसान को ऊपर उठाती है। सकारात्मक सोच हमेशा समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
स्वयं से करें सवाल
अक्सर द्वंद की स्थिति महिलाओं में अधिक होती है। ऐसे में जब जब कोई समस्या परेशान करें। तो स्वयं से सवाल करें। जब आप अपने आप से सवाल करते हैं। तब जवाब भी अंदर से ही आते हैं। जो जवाब अंदर से आते हैं। वे सटीक और समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पर्सनैलिटी के निर्माण में इसका आपको भरपूर फायदा मिलेगा। सही गलत का निर्णय लेने में स्वयं के सवाल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
लोग क्या कहेंगे?
अक्सर हम जब कुछ कार्य करने जाते हैं। तो यह सोचकर पीछे हट जाते हैं कि लोग क्या कहेंगे? सच तो यह है कि व्यक्तित्व के निर्माण हुए बड़ी बाधा यही है। ऐसे में सोच से ऊपर उठना बहुत जरूरी है। तभी आपकी पर्सनैलिटी निखर कर सामने आएगी।
स्वयं को कमतर ना आंके
भगवान ने किसी को भी सर्वगुण संपन्न अथवा ऐसा नहीं बनाया है कि उसमें कोई ना कोई कमी ना हो! सभी मनुष्यों में कोई ना कोई कमी अवश्य होती है। ऐसे में अपनी कमियों को अपनी शक्ति बनाएं, मजबूरी नहीं। स्वयं को दूसरों से कमतर ना आंके ना ही दूसरों से अपनी तुलना करें। क्योंकि एक हाथ की 5 अंगुलियां भी बराबर नहीं होती।