26 January 2024: भारत के 75वें गणतंत्र दिवस 2024 पर मानो परंपराओं को नये सिरे से परिभाषित किया जा रहा है। परेड की कमान नारी शक्ति के हाथों में रही। वही दूसरी ओर राष्ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मू गणतंत्र दिवस समारोह (26 January Republic Day Parade) में 40 साल बाद कार के बजाये पारंपरिक शाही बग्घी (President of India Buggy) में बैठकर पहुंचीं। 1984 के बाद अब जाकर भारतीय राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस पर इस अंग्रेजों के जमाने की शाही बग्घी की सवारी की है। समारोह के मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इस शाही बग्गी (President of India Buggy) में राष्ट्रपति महोदया के साथ कर्तव्य पथ पर पहुंचे। तो चलिए जानते हैं इस अनोखी बग्घी (President of India Buggy) के बारे में कुछ रोचक तथ्य जिसमें फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारतीय राष्ट्रपति के साथ परेड का निरीक्षण किया।
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क्या है राष्ट्रपति की शाही बग्घी का इतिहास?
दरअसल पहली बार 1950 में गणतंत्र दिवस (26 January Republic Day Parade) पर इस शाही बग्घी (President of India Buggy) का इस्तेमाल प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया के लिए किया गया था। 1984 तक यह परंपरा जारी रही, लेकिन उसके बाद तत्तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इस शाही बग्घी (President of India Buggy) को बंद कर दिया गया और इसकी जगह हाई सिक्योरिटी कवर वाली कार इस्तेमाल होने लगी। यानी सुरक्षा की वजह से इस बग्घी को अब तक यूज में नहीं लाया जा रहा था। लेकिन इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने राष्ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मू के साथ इस शाही बग्घी (President of India Buggy) की सवारी करके पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। 1950 में पहले गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राजपथ पर हुई पहली परेड में इसी शाही बग्घी में बैठकर रिपब्लिक डे परेड का निरीक्षण किया था। शुरुआती सालों में भारत के राष्ट्रपति 26 जनवरी और 15 अगस्त (26 January Republic Day Parade) पर राजपथ पर इसी बग्घी से जाया करते थे। इतना ही नहीं 330 एकड़ में फैले विशाल राष्ट्रपति भवन के आसपास भी वे इसी बग्घी (President of India Buggy) में यात्रा करते थे।
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पाकिस्तान से टॉस जीतकर हमने जीती बग्घी
इस बग्घी (President of India Buggy) की खास बात ये है कि हमने यह पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से सिक्का उछालकर जीती थी। जैसे क्रिकेट मैच में टॉस जीतकर फैसला किया जाता है, ठीक वैसे ही अंग्रेजों के जमाने में हमने यह शाही बग्घी पाकिस्तान से जीती थी। अंग्रेजी हुकूमत ने जब सारे साजो सामान दोनों देशों में बांट दिये तब आखिर में वायसराय की यह बग्घी रह गई। इस तरह आखिरकार इस बग्गी (President of India Buggy) का फैसला टॉस से किया गया। राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड रेजिमेंट के पहले कमांडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविंद सिंह और पाकिस्तानी सेना के साहबजादा याकूब खान के बीच बग्घी को लेकर टॉस उछाला गया। इसमें जीत भारत की हुई और इस तरह ये बग्घी (President of India Buggy) भारत को मिल गई। 40 साल बाद राष्ट्रपति की यह शाही सवारी कर्तव्य पथ (26 January Republic Day Parade) पर हरेक भारतीय के सीने में जोश और जुनून की ज्वाला पैदा कर रही है।