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फर्जी न्यूज पेपर वालों के शुरू हुए बुरे दिन, मोदी सरकार लेकर आई ये सख्त कानून

 

जयपुर। भारत में अब फर्जी न्यूज पेपर (Fake News Papers) वालों के बुरे दिन शुरू हो चुके हैं। क्योंकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब प्रेस पंजीकरण विधेयक यानि Press Registration Amendment लेकर आई है। इसके तहत अब बिना रजिस्ट्रेशन के फर्जी तौर पर समाचार पत्र छापने अथवा ऑनलाइन मीडिया चलाने पर पाबंदी लगाई जाएगी यानि उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

 

फेक न्यूज की भरमार

 

इंटरनेट आने के बाद दुनिया को जितना इसका फायदा मिला है उतना ही नुकसान भी हुआ है। इन्हीं नुकसानों में एक है आम लोगों तक गलत समाचार यार सूचना पहुंचाना है। जिसको हम फेक न्यूज (Fake News) भी कहते हैं। इसी वजह से अब केंद्र की नरेंद्र मोदी ने सरकार भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और व्यापार में सुगमता लाने के लिए एक नए युग की शुरुआत की है। दरअसल, 3 अगस्त को प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 (press registration bill 2023) राज्यसभा में पारित होने के बाद को 21 दिसंबर को लोकसभा में भी पारित हो चुका है। इस विधेयक को प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल बिल (PRP Bill) भी कहा गया है। अब यह विधेयक आने वाले दिनों में कानून बनता है तो यह प्रेस और पुस्तक के पंजीकरण अधिनियम 1867 और औपनिवेशिक युग के एक और कानून की समाप्ति होगा। तो आइए जानते हैं इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से की प्रेस बिल 2023 क्या है और यह 1867 के प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम से कितना अलग है।

 

ये है नया प्रेस बिल 2023

 

प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 (press registration bill 2023), ऑनलाइन माध्यम से पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक और पंजीकरण के आवंटन की प्रोसेस को आसान बनाने वाला है। इसका मतलब ये है कि अभी जो कानून है उसके मुताबिक यदि कोई व्यक्ति पीरियॉडिकल, पत्रिका या अखबार छपवाना चाहे तो सबसे पहले उसको उस समाचार पत्र को रजिस्टर करवाना होता है। इसके साथ ही उस रजिस्ट्रेशन का नियम भी आसान नहीं है। इसके लिए उस व्यक्ति को कई स्तर की दस्तावेजी कार्रवाई करनी होती है। इस कार्रवाई में काफी लंबा समय भी लगता है, लेकिन अब भारत सरकार के नए बिल में इसी रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस को आसान बनाया गया है।

 

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ये था पुराना प्रेस कानून

 

पुराने प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक को 1867 में तैयार किया गया था। उस समय भारत में ब्रिटिश राज था। इस कानून को प्रेस, समाचार पत्रों और पुस्तकों के प्रकाशकों पर पूर्ण नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। इसके तहत तहत कोई भी प्रकाशक या व्यक्ति तय किए गए नियमों का उल्लंघन करता है तो उसको जेल समेत भारी जुर्माना और दंड देना पड़ता था। लेकिन अब नए बिल को पेश करते समय सरकार ने भी यही तर्क दिया की भारत में मीडिया की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए पुराने कानून को खत्म करके नए कानून को लागू किया जा रहा है। केंद्र सरकार के मुताबिक अंग्रेजों का बनाया गया यह कानून आज के मीडिया की जरूरतों और व्यवसाय से पूरी तरह से मैच नहीं करता है।

 

इस तरह अलग है 1867 के कानून से नया प्रेस विधेयक

 

1. प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 कानून के तहत जिला कलेक्टर के पास किसी भी पत्रिका के रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने या कैंसिल करने का अधिकार होता है। परंतु नए प्रेस बिल 2023 (press registration bill 2023) के पास होने के बाद ये रजिस्ट्रेशन करने का अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के पास चला जाएगा।

 

2. पुराने कानून के अनुसार पीरियॉडिकल, पत्रिका या अखबार के प्राकशकों को प्रकाशन से पहले जिलाधिकारी को शपथ पत्र देना होता है। लेकिन, नए विधेयक में इस तरह की कोई शर्त नहीं है। इसका मतलब प्रकाशक को जिलाधिकारी को शपथ पत्र देने की आवश्यकता नहीं है।

 

3. पुराने कानून के मुताबिक किसी भी अखबार या पत्रिका द्वारा गलत जानकारी छापने पर प्रकाशक को कम से कम 2 हजार का जुर्माना और 6 महीने की जेल होती थी। लेकिन नए नियम के अनुसार जेल केवल उसी स्थिति में होगी जब कोई व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन के पत्रिका-अखबार छाप रहा है।

 

4. प्रेस बिल 2023 के मुताबिक ऐसा कोई भी व्यक्ति जो पहले किसी आतंकी गतिविधि या किसी गैरकानूनी काम के लिए सजा काट चुका हो, देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का कोई कर चुका हो, उसे पत्रिका-अखबार छापने का अधिकार नहीं है।

 

5. इस कानून के अंतर्गत डिजिटल मीडिया-समाचार को भी लाया गया है। डिजिटल मीडिया के लिए भी वन टाइम रजिस्ट्रेशन यानी OTR के जरिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही वो कोई न्यूज दे पाएंगा। पहले डिजिटल मीडिया इस कानून के दायरे में नहीं आता था।

 

6. ऊपर बताए गए नियमों में बदलाव के अलावा प्रेस बिल 2023 में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है जो अपीलिय प्राधिकारी का है। इस प्रावधान के तहत प्रेस और पंजीकरण अपीलीय बोर्ड बनाया जाएगा। इस बोर्ड में भारतीय प्रेस परिषद के एक अध्यक्ष और 2 सदस्य होंगे। यदि किसी प्रकाशक को रजिस्टर करने से इंकार किया जाता है, PRG द्वारा कोई जुर्माना लगाया जाता है या रजिस्ट्रेशन को टाला जाता है तो प्रकाशक इस बोर्ड के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

 

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नए विधेयक में ये है सजा का प्रावधान

 

अब यदि कोई भी पब्लिकेशन बिना रजिस्ट्रेशन के पत्रिका या अकबार छापता है तो उस प्रकाशक या व्यक्ति को 5 लाख रूपये का जुर्माना या 6 महीने तक की जेल हो सकती है। यदि दिए गए समय पर एनुअल स्टेटमेंट नहीं दिया तो प्रकाशक, कंपनी या व्यक्ति को 20 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। नए विधेयक में स्वामित्व पंजीकरण प्रक्रिया अब सिर्फ 60 दिनों में पूरी हो जाएगी।

 

PRP विधेयक का समाचार पत्र उद्योग पर ये होगा प्रभाव

 

press registration bill 2023 को लेकर इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी का कहना है कि इस नए विधेयक को समाचार पत्र या प्रकाशकों को महत्वपूर्ण लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया है। पुराने कानून के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर कई कार्यालय शामिल थे। जिस वजह से रजिस्ट्रेशन या किसी परमिशन लेने में काफी वक्त लग जाता था। अब नया कानून आने के बाद इस प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जाएगा और प्रेस से जुड़े मामलों में सरकारी स्वीकृति को कम करने और इस सही तरीके से चलाने की सुविधा दी जाएगी।

Anil Jangid

Anil Jangid डिजिटल कंटेट क्रिएटर के तौर पर 13 साल से अधिक समय का अनुभव रखते हैं। 10 साल से ज्यादा समय डिजिटल कंटेंट क्रिएटर के तौर राजस्थान पत्रिका, 3 साल से ज्यादा cardekho.com में दे चुके हैं। अब Morningnewsindia.com और Morningnewsindia.in के लिए डिजिटल विभाग संभाल रहे हैं।

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