Qurbani ke Gosht ki Taqseem : ईद का त्योहार आ रहा है। इस बार मीठी नहीं बल्कि बकरीद है। 17 जून को भारत में ईद उल अजहा (Eid Ul Adha 2024) मनाई जाएगी। गौरतलब है कि बकरीद के मौके पर बकरे या किसी और जानवर की कुर्बानी पेश की जाती है। ईद उल अजहा के मौके पर केवल गोश्त खाने के इरादे से कुर्बानी नहीं की जानी चाहिए। कई लोग पूरा गोश्त घर में ही जमा कर लेते हैं। जबकि नबी के फर्मान के मुताबिक गोश्त के निर्धारित हिस्से किए (Qurbani ke Gosht ki Taqseem) जाने चाहिए। इस बारे में शरीयत का क्या कहना है यही हम आपको बता रहे हैं। ये पोस्ट हर मुसलमान तक जरूर पहुंचाएँ। अल्लाह हम सबको नेक तौफीक़ नसीब अता फरमाएं। आमीन, सुम्माआमीन।
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गोश्त के तीन हिस्से किये जाएं (Qurbani Ke Gosht ke 3 Hisse)
ईद उल अजहा पैगंबरे इस्लाम हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनके नेक फरजंद ईस्माइल अहेअलैहिस्सलाम की सुन्नत है। इसलिए महज गोश्त खाने के लिए अपने महबूब जानवर को जिबह न करें। कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से (Qurbani Ke Gosht ke 3 Hisse) करके एक हिस्सा गरीबों में, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों में और तीसरा हिस्सा घर में अपने लिए रख लें। इसमें कोई कोताही न बरते। कुछ लोग अपने लिए ज्यादा हिस्सा रख लेते हैं। ऐसे लोग खुदारा कुछ तो खौफ रखे।
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गोश्त तक़सीम (वितरित) कैसे करें (Qurbani Ke Gosht ki Taqseem)
ईद उल अजहा पर कुर्बानी करने के बाद छोटे पीस करने से पहले ही पूरे गोश्त (Qurbani Ke Gosht ki Taqseem) को किसी तराजू में अलग अलग तीन चार बार में तोल ले। बकरीद के कुल गोश्त के तीन हिस्से किये जाने चाहिए। मिसाल के तौर पर अगर 45 किलो गोश्त है तो 15 किलो गोश्त प्रत्येक के हिस्से में आएगा। इसमें कलेजी और सिरी पाया शामिल नहीं होंगे। केवल जो विशुद्ध मांस होता है उसी के तीन हिस्से किये जाते हैं।
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शरीयत का फरमान सुन लें (Qurbani Ke Gosht ki Taqseem)
शरीयत के मुताबिक पहला हिस्सा अपने पास, दूसरा पड़ोसी और रिश्तेदारों के लिए तथा तीसरा हिस्सा गरीबों मिस्किनों के लिए रखना (Qurbani Ke Gosht ki Taqseem) चाहिए। सभी को बराबर गोश्त तक़्सीम करें। तोल करते समय कोई चालबाजी न करें। क्योंकि सही सही तोलने पर कुर्आने मजीद में पूरी एक आयत है। तो अल्लाह से डरते रहे और बंदों को उनका सही हक देते रहे। मौला हम सबकी कुर्बानी को कुबूल ओ मंज़ूर फरमाएं। आमीन, सुम्माआमीन।