Qurbani ki Dua : ईद उल अजहा का त्योहार नजदीक है। 17 जून (Eid ul Adha Date 2024) को भारत में तथा 16 जून को खाड़ी देशों (Eid ul Adha Gulf 2024) में ईद उल अजहा मनाई जाएगी। ईद उल अजहा के मौके पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है। हम आपको कुर्बानी की दुआ हिंदी में (Qurbani Ki Dua In Hindi) बता रहे हैं ताकि आप सही दुआ पढ़कर जानवर जिबह करते हुए सवाब हासिल कर सके। आप सबको ईद अल अजहा (Ajmer Bakrid News 2024) की तहे दिल से मुबारकबाद। अल्लाह हम सबको अपनी सबसे प्यारी चीज अल्लाह की राह में कुर्बान करने की तौफीक़ नसीब फरमाएं। आमीन सुम्माआमीन
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कुर्बानी की दुआ हिंदी में (Qurbani Ki Dua In Hindi)
इन्नी वज्जहतु यलल्ल्जी फत रससमावती वल अरद हनिफव व मा अना मिनल मुशरिकिन इन्नास सलाती व नुसुकी व महया य व म माती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, ला शरीका लहू व बिजालिक उमिरतु व अना मिनल मुस्लिमीन अल्लाहुम्मा मिनक व लाक बिस्मिल्लाही अल्लाहु अकबर
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कुर्बानी की दुआ इंग्लिश में (Qurbani Ki Dua In English)
Inni Wajjhatu Yallaji Fat Rassmawati Wal Arad Hanifaw Wa Maa Ana Minal Mushrikin Innas Slati Wa Nusuki Wa Mahya Yaw A Ma Maati Lillahi Rabbit Aalmin, Laa Sharika Lahu Wa Bijaalik Umiratu Wa Anna Minal Muslimin Allahumma Min Ka Wa Laak Bismllahi Allahu Akabar
कुर्बानी की दुआ का हिंदी तर्जुमा (Qurbani Ki Dua In Hindi)
मै अपना मुंह उसके तरह किया जिसने आसमान और जमीन को पैसा किया, मैं इब्राहीम अलैहिस्सलाम कि मिल्लत पर हूँ, जो हनीफ और मुस्लिम थे, मै मुशरिको में से नही हूं, बेशक मेरी नमाज, मेरी कुर्बानी, मेरी जिन्दगी और मेरी मौत सब अल्लाह तआला के लिए है, उसका कोई शरीक नही, मुझे इस बात का हुक्म दिया गया है, और मैं सब से पहले फरमा बरदार हूँ, ऐ अल्लाह ये कुर्बानी तेरी तौफीक से है, और तेरे लिए है।
कुर्बानी के बाद की दुआ हिंदी में (Qurbani ke Baad ki Dua In Hindi)
“अल्लाहुमा तक्ब्ब्ल मिन्नी कमा तक्ब्ब्लता मिन खलिलेका इब्राहीम व हबिबेका मोहम्मद सलाहो अलैहि वसल्लम”
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हजरत इब्राहीम की सुन्नत क्या है (Hsitory of Eid ul Adha)
ईद उल अज्हा का त्योहार पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनके बेटे ईस्माइल अहेअलैहिस्सलाम की कुर्बानी की सु्न्नत को जिंदा करने के लिए मनाया जाता है। अल्लाह तआला का हुक्म हुआ था कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करो। अल्लाह के खलील हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम (Hsitory of Eid ul Adha) को 80 साल की उम्र में हजरत इस्माईल पैदा हुए थे। ऐसे में उनको कुर्बान करने का ख्याल दिल में लाना ही सबसे बड़ी कुर्बानी थी। अल्लाह तआला ने इस इम्तिहान में कामयाब होने पर इब्राहीम अलैहिस्सलाम को कहा कि आपकी ये सुन्नत (Eid Ul Adha 2024 in Gulf) कयामत तक आने वाली नस्लें जिंदा रखेगी। केवल गोश्त खाने के इरादे से कुर्बानी नहीं की जानी चाहिए। बल्कि तकवा और परहेजगारी ही इस त्योहार का मुख्य अकीदा है।