जयपुर। आपको याद होगा कि साल 2006 में राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में बसे बाड़मेर और जैसलमेर जिले रातों-रात टापू बन गए थे। इस वर्ष यहां इतनी बारिश हुई कि सुबह पूरा कवास गांव पानी में डूब गया। रेत के ऊंचे टीलों में इतना पानी भर गया कि कश्तियां चलने लगीं। इस पानी को निकालने में महीनों लग गए। यही इसी बात का संकेत था कि अब राजस्थान का चेरांपूजी कहे जाने वाले बांसवाड़ा की बजाए अब झालावाड़ और प्रतापगढ़ इसकी जगह ले रहे हैं।
मई में टूटा 100 साल का रिकॉर्ड
इस साल मई के महीने में बारिश का 100 साल पुराना रिकॉर्ड टूट चुका है। मार्च, अप्रैल, मई में इस साल जितने पश्चिमी विक्षोभ आए हैं, उतने शायद ही कभी आए हों। मौसम एक्सपर्ट के मुताबिक प्रदेश में मौसम जिस पैटर्न पर चल रहा है, अगर ये जारी रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में राजस्थान से रेगिस्तान गायब हो जाएंगे।
13 जून को कांपेगी गहलोत सरकार, BJP बोलेगी सचिवालय पर धावा, CP Joshi ने किया ये ऐलान
राजस्थान में इतनी बढ़ी बारिश
आईएमडी के पूर्व डायरेक्टर जनरल लक्ष्मण सिंह के मुताबिक जब पिछला क्लाइमेटिलॉजी रिवीजन हुआ था। उसमें पता चला कि ओवरऑल नाॅर्थ ईस्ट में बरसात 7 प्रतिशत कम हुई है। वहीं नाॅर्थ वेस्ट यानी राजस्थान में 7 प्रतिशत बढ़ी है। पूरे मानसून के डायनेमिक्स में बदलाव हुआ है। उसकी वजह से रेनफॉल पैटर्न में भी बदलाव हुआ है। न सिर्फ देश में बल्कि ग्लोबल सर्कुलेशन में भी बदलाव हुए हैं, ओशन लैंड एनर्जी डायनेमिक्स के चलते क्लाइमेट चेंज हुआ है।
इंदिरा गांधी नहर ने ऐसे बदली सूरत
राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर का असर पश्चिमी राजस्थान पर है। इन दिनों दुबई में इसी तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। वहां आर्टिफिशियल झीलें बनाकर आस-पास पेड़-पौधे लगाए गए हैं। झीलें सिर्फ 2 मीटर गहराई की हैं, मगर उनका फैलाव ज्यादा है। इससे वहां वातावरण में नमी आई है और वहां बरसात देखने को मिली है जाे कि बिल्कुल नहीं हुआ करती थी। यही काम इंदिरा गांधी कैनाल ने भी पश्चिमी राजस्थान में किया है।
राजस्थान में बढ़ा बारिश का औसत
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार 1961 से 2010 के बीच 50 साल की औसतन बारिश 414.5 एमएम थी। वहीं 1971 से 2021 के बीच 50 साल में यह बढ़कर 435.6 एमएम हो गई। यानी 21.1 एमएम बरसात की बढ़ोतरी देखने को मिली। इसमें पश्चिमी और पूर्वी राजस्थान दोनों में भी बदलाव देखा गया। 1960 से 2010 के बीच जहां पूर्वी राजस्थान में सामान्य बरसात 602.2 एमएम थी। वहीं 1971 से 2021 के बीच यह बढ़कर 626.7 एमएम हो गई। इसमें 24.5 एमएम की बढ़ोतरी हुई।
अब झालावाड़ और प्रतापगढ़ राजस्थान के नए चेरापूंजी
बांसवाड़ा को राजस्थान का चेरापूंजी कहा जाता है। मगर पिछले कई वर्षों से बांसवाड़ा में इतनी बरसात नहीं हो रही है। इसके बजाय राजस्थान में झालावाड़ और प्रतापगढ़ में हर साल भारी बरसात होती है। झालावाड़ और प्रतापगढ़ वो जिले हैं, जहां लगातार अच्छी बरसात का ट्रेंड देखने को मिल रहा है। राजस्थान के सभी जिलों की बात करें तो सामान्य बरसात में सबसे आगे प्रतापगढ़ है। यहां मानसून सीजन की औसतन बरसात 914.2 एमएम है, जो कि पूरे राजस्थान में सबसे ज्यादा है। जबकि बांसवाड़ा में 886 और झालावाड़ में 884.3 एमएम बरसात औसतन है।
Top 10 Big News of 20 September 2024: देश- दुनिया की ताजा खबरों के लिए…
Subodh girls college hindi pakhwada: सुबोध पी.जी. महिला महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत कार्यक्रम…
ECGC PO Recruitment 2024: भारत सरकार की ओर से ईसीजीसी में पीओ की भर्तियां निकाली…
Food Safety Department Raid: चटख लाल तड़के वाली मलाई कोफ्ता हो या कोई और रेस्टोरेंट…
Pakistan zindabad in bhilwara Rajasthan: राजस्थान में आपत्तिजनक नारों से एक बार फिर माहौल बिगड़…
SDM Priyanka Bishnoi Death : राजस्थान की मशहूर RAS अधिकारी SDM प्रियंका बिश्नोई जिंदगी की…