Ramadan Day 20 Dua: मुसलमानों का मुबारक महीना रमजान का दूसरा अशरा चल रहा है। आज 31 मार्च 2024 को 20वां रोजा रखा जा चुका है। हर रमजान के लिए एक खास दुआ नबी ए करीम ने बताई है जिसे उस दिन खुसूसी तौर पर पढ़नी चाहिए। बीसवें रमजान को एक खास दुआ (Ramadan Day 20 Dua) पढ़नी चाहिए जिससे अल्लाह आपको जहन्नम की भड़कती आग से महफूज रखेंगे। रमजान का तीसरा अशरा आज शाम से शुरु हो जाएगा। जहन्नम की आग से खुलासी का ये तीसरा अशरा ईद के चांद दिखने पर तीस रमजान को खत्म होगा। तीसरे अशरे में शबे कद्र का दौर शुरु होगा। अलविदा जुम्मा 5 अप्रैल को होगा। ईद का चांद 10 अप्रैल को नजर आ सकता है। आज 31 मार्च 2024 के दिन 21वीं तरावीह होगी।
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20वें रमजान की खास दुआ (Ramadan Day 20 Dua)
Allahumma aftah li fihi abwaba aljinani wa aghliq `anni fihi abwaba alnnirani
wa waffiqny fihi litilawati alqur’ani ya munzila alsskinati fi qulubi almu´minina
ऐ अल्लाह इस महीने अपने जन्नतों के दरवाजें मुझ पर खोल दें, और दोजख की भड़कती आग के दरवाजे मुझ पर बंद कर दें, और मुझे इस महीने में तिलावत-ए-कुरआन की तौफीक़ अता फरमा, ऐ मोमिनों के दिलों में सुकून नाज़िल करने वाले
Aye Allah Is Mahine Apne Jannaton Ke Darwaze Mujh Par Khol De, Aur Dozakh Ki Bhadakti Huwi Aag Ke Darwaze Mujh Par Band Karde, Aur Mujhe Is Mahine Me Tilawat-e-Quran Ki Taufeeq Ata Farma, Aye Momino Ke Dilon Me Sukoon Nazil Karne Wale
اَللّـهُمَّ افْتَحْ لي فيهِ أبواب الْجِنانِ، وأغلق عَنّي فيهِ أبواب النّيرانِ، وَوَفِّقْني فيهِ لِتِلاوَةِ الْقُرْآنِ، يا مُنْزِلَ السَّكينَةِ فى قُلُوبِ الْمُؤْمِنينَ
ALLAH Open for me in it the gates of the gardens of Paradise, close from me in it the gates of the fires, enable me in it to recite the Qur’an, O One Who sends down calm to the hearts of the faithful.
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20वें रमजान को क्या है खास?
20वें रमजान को दूसरे अशरे का आखिरी यानी दसवां दिन है। मतलब आज शाम को तीसरा अशरा शुरु हो जाएगा। जिसमें जहन्नम की आग से आजादी मिलती है। तीसरे अशरे में दोजख की भड़कती आग से पनाह की ये दुआ जरूर मांगे। अल्लाहुम्मा अजिरनी मिन्ननार ये दुआ हमेशा पढ़ते रहे। इंशाअल्लाह आपको जहन्नम की आग से पनाह मिल जाएगी। एतिकाफ में भी आज शाम को ही बैठा जाता है। 20वें रमजान की शाम से ईद का चांद दिखने तक बंदा मस्जिद में तन्हाई में मौला की इबादत करता है। ऐतिकाफ का सवाब दो हज और दो उमरे के बराबर होता है।
क्या होता है एतिकाफ
इस्लाम में एतिकाफ का मतलब होता है कि ठहर जाना। बीस रमजान की शाम से ही मुस्लिम बंधु मस्जिद के एक कोने में पर्दा करके एतिकाफ में बैठते हैं। इसमें दस दिनों तक किसी से बात नहीं की जाती है। केवल अल्लाह अल्लाह करना है। सुबह जल्दी नहा धो ले, यानी किसी को आपका चेहरा न दिखे। महिलाएं घर पर ही एतिकाफ कर सकती है। एतिकाफ की वजह से बस्ती का अजाब टाल दिया जाता है।