Ramadan Day 22 Dua: मुसलमानों का मुबारक महीना रमजान का तीसरा अशरा परसो से शुरु हो चुका है। आज 2 अप्रैल 2024 को 22वां रोजा रखा जा चुका है। हर रमजान के लिए एक खास दुआ नबी ए करीम ने बताई है जिसे उस दिन खुसूसी तौर पर पढ़नी चाहिए। 22वें रमजान को एक खास दुआ (Ramadan Day 22 Dua) पढ़नी चाहिए जिससे अल्लाह आपको अपने क़रम से नवाज़ देंगे। रमजान का तीसरा अशरा परसो शाम से शुरु हो चुका है। जहन्नम की आग से खुलासी का ये तीसरा अशरा ईद के चांद दिखने पर तीस रमजान को खत्म होगा। तीसरे अशरे में शबे कद्र का दौर शुरु होगा। अलविदा जुम्मा 5 अप्रैल को होगा। ईद का चांद 10 अप्रैल को नजर आ सकता है। आज 2 अप्रैल 2024 के दिन 23वीं तरावीह होगी।
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22वें रमजान की खास दुआ (Ramadan Day 22 Dua)
Allahumma aftah li fihi abwaba fadlika wa anzil `alayya fihi barakatika
wa waffiqny fihi limujibati mardatika wa askinny fihi buhbuhati jannatika
ya mujiba da`wati almudtarrina
ऐ अल्लाह आज के दिन मेरे लिए अपने क़रम के दरवाज़े खोल दे, इसमें मुझ पर अपनी बरकतें नाज़िल फरमा, इसमें मुझे अपनी राज़ों के ज़राये इख़्तियार करने की तौफीक़ दे, और मेरी मंज़िल जन्नत के बीचों बीच करार दे, ऐ परेशान लोगों की हाजतें पूरी करने वाले
Aye Allah Aaj Ke Din Mere Liye Apne Karam Ke Darwaze Kholde, Isme Mujh Par Apni Barkatein Nazil Farma, Isme Mujhe Apni Razaon Ke Zaraye Ikhtiyaar Karne Ki Taufeeq Dey, Aur Meri Manzil Jannat Ke Beechon Beech Qaraar Dey, Aye Pareshan Logon Ki Haajatein Poori Karne Wale.
ALLAH on this day open for me the doors of Your Grace, send down on me its blessings, help me towards the causes of Your mercy, and give me a place in the comforts of Paradise, O the one who answers the call of the distressed.
اَللّـهُمَّ افْتَحْ لى فيهِ أبواب فَضْلِكَ، وَاَنْزِلْ عَلَيَّ فيهِ بَرَكاتِكَ، وَوَفِّقْني فيهِ لِمُوجِباتِ مَرْضاتِكَ، وَاَسْكِنّي فيهِ بُحْبُوحاتِ جَنّاتِكَ، يا مُجيبَ دَعْوَةِ الْمُضْطَرّينَ
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22वें रमजान को क्या है खास?
22वें रमजान का तीसरा अशरा शुरु हो चुका है। आज तीसरे अशरे का दूसरा दिन है। मतलब परसो शाम 31 मार्च से तीसरा अशरा शुरु हो चुका है। लोग एतिकाफ में बैठ चुके हैं। इस अशरे में जहन्नम की आग से आजादी मिलती है। तीसरे अशरे में दोजख की भड़कती आग से पनाह की ये दुआ जरूर मांगे। अल्लाहुम्मा अजिरनी मिन्ननार ये दुआ हमेशा पढ़ते रहे। इंशाअल्लाह आपको जहन्नम की आग से पनाह मिल जाएगी। 20वें रमजान की शाम से ईद का चांद दिखने तक बंदा मस्जिद में तन्हाई में मौला की इबादत करता है। ऐतिकाफ का सवाब दो हज और दो उमरे के बराबर होता है। 22वें रमजान को ये खास दुआ पढ़ने से मौला आपके लिए जन्नत को मंजिल करार कर देगा।
क्या होता है एतिकाफ ?
इस्लाम में एतिकाफ का मतलब होता है कि ठहर जाना। बीस रमजान की शाम से ही मुस्लिम बंधु मस्जिद के एक कोने में पर्दा करके एतिकाफ में बैठते हैं। इसमें दस दिनों तक किसी से बात नहीं की जाती है। केवल अल्लाह अल्लाह करना है। सुबह जल्दी नहा धो ले, यानी किसी को आपका चेहरा न दिखे। महिलाएं घर पर ही एतिकाफ कर सकती है। एतिकाफ की वजह से बस्ती का अजाब टाल दिया जाता है।