Ramadan Iftar: इस्लाम धर्म में गरीबों और जरूरतमंदों का खास ख्याल रखा गया है। पैगंबरे इस्लाम मुहम्मद साहब ने यतीमों और जईफों की मदद करने वालों को खुशखबरी सुनाई थी। ऐसे लोगों से अल्लाह बहुत राज़ी होते हैं। रमजान के माहे मुबारक में गरीबों को इफ्तार और सेहरी कराने का बहुत बड़ा सवाब है। हम आपको रमजान में गरीबों को इफ्तार (Ramadan Iftar) कराने की हदीस भी बताएंगे। हर इंसान को अपने साथ लेकर चलना ही इस्लाम ही सबसे बड़ी खूबसूरती है।
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गरीबों को कराएं रोजा इफ्तार
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि रोजा हमेशा अपने परिवार यानी बीवी, बच्चे, भाई, बहन के साथ खोलना चाहिए। साथ ही गरीबों को भी रोजा इफ्तार कराना चाहिए। परिवार के साथ इफ्तार करने वालों को अल्लाह ताला हर निवाले के बदले एक गुलाम आजाद करने का सवाब यानी पुण्य देता है। वही रोजा इफ्तार करते वक्त अगर आपके यहां कोई मेहमान आ जाए तो उसे भी इफ्तार कराएं, इससे आपको डबल सवाब मिल जाएगा।
इफ्तार कराने का सवाब
जयपुर के मुफ्ती साहब बताते हैं कि किसी को रोजा इफ्तार कराना बड़ा ही सवाब का काम है। हदीस का मफहूम है कि अगर कोई शख्स किसी रोजेदार को इफ्तार कराएगा, उसके सारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे। अगर कोई बंदा किसी के साथ इफ्तार में शामिल होता है, तो उसे भी इतना ही सवाब मिलता है। उसके सवाब से जर्रा बराबर भी कमी नहीं की जाती है। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इर्शाद है कि “जिस शख्स ने किसी रोजेदार को भरपेट खाना खिलाया, अल्लाह रब्बुल इज्ज़त कयामत के दिन उसे ऐसा शरबत पिलाएगा कि उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।”
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इफ्तार पर हदीस
एक सहाबी ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा कि “या रसूलल्लाह! अगर किसी शख्स के पास इतना माल या खाना न हो जिससे वह किसी को अच्छे से रोजा न इफ्तार करवा सके उस सूरत में क्या वह भी उतने ही सवाब का भागीदार होगा? प्यारे आका ने फरमाया यह सवाब तो उसे भी मिलेगा जिसने एक घूंट पानी या दूध से किसी को रोजा इफ्तार करवाया हो। अल्लाह हम सबको गरीबों और जरूरतमंदों को रोजा इफ्तार कराने की तौफीक अता फरमाएँ।