Ramzan 3rd Jumma : इस्लाम में शुक्रवार का क्या महत्व है ये बात भारत के किसी भी गैर मुस्लिम से पूछ ले तो वह भी फटाक से बता देगा कि जुम्मे का दिन मुसलमानों के लिए खास होता है। जैसे मंगलवार का दिन हिंदुओं के लिए शुभ माना जाता है। अब रमजान के पवित्र महीने में अगर जुम्मे का दिन आएगा तो भय्या ये तो डबल पुण्य कमाने का अवसर बन गया न। हम आपको रमजान के तीसरे जुम्मे के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे। ताकि आप 29 मार्च 2024 के दिन अल्लाह की रहमत को अपने घर पर नाजिल करवा सके। साथ ही जुम्मे के दिन दोस्तों रिश्तेदारों को जुम्मा मुबारक के बधाई संदेश शायरी भी हमने आपकी खिदमत में पेश कर दी है। दुआओं का मुंतज़िर आपका अपना रॉकशायर इरफ़ान अली ख़ान शहर गुलाबी नगरी जयपुर और पता आपका मासूम दिल।
यह भी पढ़ें:3rd Jumma Mubarak Ramadan : रमजान का तीसरा जुमा मुबारक, ऐसे भेजें शुभकामना संदेश
रमजान का तीसरा जुम्मा है खास
(Ramzan 3rd Jumma)
रमजान में इस बार चार जुम्मे आए हैं। इसमें से पहला और दूसरा जुम्मा जा चुका है। अब तीसरे की बारी है। 29 मार्च 2024 को रमजानुल मुबारक का तीसरा जुम्मा (Ramzan 3rd Jumma) है। इस दिन कुल 18 रोजे हो जाएंगे। जुम्मे के दिन की फजीलत हम बहुत बार बयान कर चुके हैं। लेकिन ये तीसरा जुम्मा रमजान के दूसरे अशरे में आया है। मगफिरत का ये अशरा काफी कीमती है। इस तीसरे जुम्मे को आप दुरूद शरीफ के साथ ही तौबा अस्तग़फार भी करते रहे।
अलविदा जुमा कब है?
इसके बाद रमजान का चौथा और आखिरी जुम्मा आएगा। जिसे अलविदा जुम्मा या जुमातुल विदा भी कहा जाता है। 5 अप्रैल 2024 को रमजान का चौथा जुम्मा यानी अलिविदा जुमा आएगा। इस दिन की नमाज की खास फजीलत है। अलविदा जुम्मे का खुत्बा भी अलग होता है। जयपुर में जामा मस्जिद में अलविदा जुम्मे की नमाज के लिए खास प्रबंध किये जाएंगे।
यह भी पढ़ें:Ramzan ka Jumma: रमजान में जुमे पर मिलता है इतना सवाब, मुसलमान जान लें
इस्लाम में जुम्मे का महत्व क्या है?
हफ्ते का पांचवा दिन शुक्रवार मुस्लिम बंधुओँ के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन को जुमा या जुम्मा (Jumma) कहा जाता है। जुम्मे की नमाज के बाद मुस्लिम भाई एक दूसरे को मुबाकरबाद देते हैं। इस दिन मुस्लिम नहा धोकर नये कपड़े पहनकर खुशबू और इत्र लगाकर जुम्मे की नमाज शुक्रवार की दोपहर में 1 बजकर तीस मिनट पर अदा करते हैं। इसे छोटी ईद भी कहा जाता है। इस दिन खास खुत्बा होता है। जुमे के दिन की कुरान और हदीस में बड़ी फजीलत बयान की गई है। जुमे में 14 रकात नमाज पढ़ी जाती हैं।