Ramzan me Janabat : मुसलमानों के लिए इस समय पाकीजा महीना रमजान चल रहा है। दिन रात मोमिन इलाही की रजा के लिए भूखे प्यासे रहकर रोजा रख रहे हैं, तरावीह पढ़ रहे हैं, कुरान मजीद की तिलावत कर रहे हैं। सुबह सेहरी के वक्त खाना खाकर मोमिन पूरा दिन अल्लाह को राज़ी करने वाले नेक अमल करता है, फिर शाम को इफ्तार के वक्त उसे उसका बदला अता किया जाता है। लेकिन कई मुसलमानों के जेहन में ये सवाल उठता है कि अगर वे रात को नापाकी की हालत में आ गए तो क्या सुबह रोजा रख सकते हैं। आखिर नापाकी की हालत में सेहरी (Ramzan me Janabat) करने का क्या मसअला है यही हम बताने वाले हैं। ताकि हमारे भारतीय मुस्लिम बंधुओं को हदीस की रौशनी में ये मसला पता चल सके। कई लोग हालांकि रमजान में बीवी से दूर सोते हैं, लेकिन इस्लाम में रमजान में रात के समय बीवी के साथ हमबिस्तरी करने की मनाही नहीं है। बस आपको सुबह गुस्ल करके पाकी हासिल करनी होती है।
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नापाकी में रोजा रखना कैसा है?
अव्वल तो ये कि रमजान में सोहबत या जनाबत से परहेज ही करना चाहिए। लेकिन अगर रात के समय एहतलाम यानी स्वप्नदोष या जनाबत मतलब संभोग की वजह से आप नापाक हो गए है तो ऐसे में अव्वल हुक्म है कि उसी समय गुस्ल कर लिया जाए। यानी रात में ही नहा ले। लेकिन अगर नींद आ जाती है तो फिर सुबह जल्दी उठकर नहा ले। लेकिन अगर कोई शख्स ठीक सेहरी से पहले उठ रहा है तो उसे चाहिए कि पहले रोजा रख ले, यानी पहले सेहरी कर ले फिर नहा ले। कुल मिलाकर जनाबत की वजह से फज्र की नमाज जाया नहीं होनी चाहिए।
हदीस क्या कहती है ?
हदीस से साबित है कि अगर कोई शख्स रात में नापाक हो गया, और जब सोकर उठा तो सेहरी का वक़्त बिल्कुल करीब था तो तुरंत सेहरी करे और उसके बाद नहाए, ऐसी हालत में नापाकी की हालत में सेहरी करना जायज़ है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप रोजाना ऐसा करने लग जाए। ये केवल मजबूरी में करने का हुक्म है। इस्लाम ने बंदे को दीन में आसानी दी है, लेकिन उसका गलत फायदा न उठाएं।
(बुखारी हदीस नंबर 1830)
उम्मु-ल-मुअमिनीन सय्यिदा आइशा सिद्दीक़ा (र.) की रिवायत है के हुज़ूर (स.) भी बाज़ अवक़ात रोज़ा रख लेते और फ़ज्र की नमाज़ से पहले ही ग़ुस्ले-जनाबत करते थे। यानी नबी ए करीम का भी फरमान है कि अल्लाह ने मोमिन को छूट दी है। पहले सेहरी का वक्त निकल रहा है तो रोजा रखें, उसके बाद गुस्ल करके पाकी हासिल करें।
(बुखारी 1931, मुस्लिम 2589)
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रमजान में बीवी की सोहबत
रमजान में बीवी की सोहबत की जा सकती है। बस रात को तरावीह से लेकर सुबह सेहरी से पहले तक आप अपनी जौजा के साथ हमबिस्तरी कर सकते हैं। लेकिन तुरंत बाद गुस्ल करके पाक साफ हो जाए। अल्लाह फरमाते हैं कि तुम्हारी बीवीयां तुम्हारे सुकून का जरिया है। हमने रमजान में भी कुछ रियायत दी है। ताकि तुम बिल्कुल जुदा जुदा न होने लगे।