Ramzan me Kiss: माहे रमज़ान चल रहा है। आज 13 मार्च 2024 को भारत में दूसरा रोज़ा है। रोज़े की हालत में इंसान को बुरे कामों से बचने का हुक्म दिया गया है। सारा दिन इबादत ओ तिलावत में वक्फ करना चाहिए। कई लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि क्या रोजे की हालत में मुस्लिम मर्द अपनी बीवी को किस कर सकते हैं? Ramzan me Kiss करने को लेकर हमने काफी अच्छी जानकारी आपके लिए जुटाई है। हम नहीं चाहते है कि किसी भी मुस्लिम बंधु को जानकारी न होने की दलील पर अपना रोज़ा खारिज करना पड़े। इससे पहले हमने रमजान में हमबिस्तरी को लेकर भी जानकारी प्रदान की थी। हमारा उद्देश्य यही है कि मुस्लिम भाईयों को जितनी हो सके ऐसे टॉपिक्स पर जानकारी मुहैया करवा सके जिन पर लोग लिखने से कतराते हैं।
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रमजान में किस करना चाहिए या नहीं
(Ramzan me Kiss)
रमजान के पाकीज़ा महीने में रोजा करते हुए दिन में हमबिस्तर होना या हस्तमैथुन करना बिल्कुल गलत अमल है। रमजान में इस काम को हराम बताया गया है। रोजे की हालत में बीवी के साथ हमबिस्तरी (Ramzan me Kiss) करने से रोजा टूट जाता है। अगर जानबूझकर या गलती से ऐसा हो जाए तो उसके लिए प्रायश्चित करना होता है जिसे कफ्फारा भी कहा जाता है। रोज़े की हालत में बीवी या पार्टनर को गले लगाने या चूमने के कुछ नियम हैं। अगर किस करते हुए या गले लगते वक़्त आपके दिमाग में हमबिस्तर होने कि इच्छा जाग जाती है तो फिर रोजा टूट जाता है। यानी रोजे की हालत में किस करने से परहेज करें तो ही बेहतर है।
ऐसे Kiss करेंगे तो नहीं टूटेगा रोज़ा
रमज़ान में बीवी के माथे को चूमना जायज है। क्योंकि उस समय मन में कोई भी गलत ख्याल नहीं आते हैं। लेकिन अगर आप किस करते हुए एक दूसरे के मुंह में लार ट्रांसफर कर देते है तो फिर रोज़ा टूट जाता है। सबसे बढ़िया तो ये है कि रोजा खोलकर शाम के समय आप बीवी के साथ रोमांस कर सकते है। लेकिन रोजे की हालत में बीवी को गले लगाने या चूमने से बचना ही चाहिए।
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सेहरी से इफ्तार तक रखें रूह का रोज़ा
रमजान में शरीर के साथ ही रूह का रोज़ा रखना भी जरूरी है। यानी आपकी नियत सही होनी चाहिए। बुरी चीजों के ख्याल दिल में नहीं आने चाहिए। अगर रमजान की हालत में गलत वीडियो देख लिया तो रोज़ा टूट जाता है। अव्वल तो ये है कि आप बड़ी मुश्किल से जब रोज़ा रखते है तो उसके उसूल और आदाब का भी बहुत ख्याल रखें। नहीं तो हमारा भूखा प्यासा रहना किसी काम नहीं आएगा। इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना नहीं है। हम केवल जनहित में जागरुकता फैला रहे हैं। ये जानकारी आम मुस्लिम तक जरूर पहुंचाएं।