Ramzan me Miswak: रमजान में रोजेदार टूथब्रश करने को लेकर असमंजस की स्थिति में रहते हैं। इसलिए हम आपको इसका खास नबवी तरीका बताते हैं। अगर आप मिस्वाक (दातून) का इस्तेमाल करते हैं तो इससे न केवल रोजा महफूज रहता है, बल्कि नबी की सुन्नत भी जिंदा होती है। इस्लाम में मिस्वाक करने की फजीलत हदीस में नबी ए पाक ने बयान फरमाई है। रमजान में मिसवाक की मांग भी बढ़ने लग जाती है। रिसर्च के मुताबिक मिसवाक करने से मुंह के बैक्टीरिया खत्म होते हैं। साथ ही मिस्वाक करने से 70 से अधिक बीमारियां भी खत्म होती हैं। Ramzan me Miswak किस तरह से और कब करनी चाहिए ये आपको पता होना चाहिए। हम आपको इसकी पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। नबी ए करीम का इर्शाद है कि मिस्वाक के साथ पढ़ी गई नमाज बगैर मिस्वाक के पढ़ी गई नमाज से 70 गुना ज्यादा सवाब वाली है।
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दांतुन को अरबी भाषा में मिस्वाक कहा जाता है। इस्लाम में मिस्वाक का जिक्र हदीस में कई जगह आया है। रसूलूल्लाह ने फरमाया कि अगर दुश्वार नहीं होता है मेरी उम्मत पर हर नमाज से पहले मिस्वाक करना फर्ज करार दे दिया जाता। रमजान में मिस्वाक के कई फायदे हैं। कई लोगों को लगता है रोजे की हालत में वे दांत साफ नहीं कर सकते हैं। लेकिन मिसवाक रोजेदारों के लिए सवाब के साथ ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। सुबह फज्र नमाज से पहले और ईशा नमाज के बाद मिस्वाक करना सही रहता है।
हदीस में कई जगह मिस्वाक का जिक्र है। हजरत अबुहुरैरा रजि0 से रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि “अगर मेरी उम्मत पर दुश्वाराना होता है तो मैं उनको हर नमाज के वक्त मिस्वाक करने का हुक्म देता। इतना ही नहीं हुजूर की ज़ौजा हजरत आयशा रिज0 कहती हैं कि नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि “मिस्वाक मुंह की सफाई का जरिया है और अल्लाह ताला की खुशी हासिल होने का सबब है। अल्लाह हम सबको मिस्वाक करने की तौफीक नसीब फरमाएं।
रमजान में अरब की मिस्वाक की डिमांड रहती है। सऊदी अरब में आम तौर से साल्वाडोरा पर्सिका दरख्त से मिस्वाक बनती है। इस शजर को अरबी में आराक कहते हैं। वही सूडान मिश्र और चाड़ में भी मिस्वाक पाया जाता है। भारत की बात करें तो भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया में पीलू, जैतून, जाल या फिर नीम की जड़ से मिसवाक बनाई जाती है। नमाज से पहले वुजू करते हुए आप मिस्वाक कर सकते हैं।
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किंग सऊदी यूनिवर्सिटी में हुए रिसर्च में बताया है कि मिस्वाक को चबाने से इसमें से सिलिका निकलता है जो दातों से पीलापन खत्म करने और मुंह की बदबू मिटाने में मददगार साबित होता है। वही ये भी पता चला कि मिस्वाक में कैल्शियम और फास्फोरस समेत 19 तरह की सेहत की बेहतर रखने वाली चीजें होती हैं। मिस्वाक मुंह के कीड़ों से लड़ने के लिए कुदरती सिस्टम बनाता है। वही मिसवाक से मुंह का कैंसर भी ठीक हो सकता है।
एक ताजा शोध में मालूम चला है कि मिस्वाक से न सिर्फ दिमाग और आंखों की रोशनी तेज होती हैं बल्कि दिल की बीमारियों में भी राहत मिलती है। मिस्वाक से मसूड़े मजबूत होते हैं और इससे पाचन क्रिया भी सही रहती है। मिस्वाक करने से दांतों में सड़न की संभावना खत्म हो जाती है। वही अगर दांतों में दर्द है या पायरिया है तो इससे भी मिस्वाक निजात दिलाती है। मिस्वाक करने से आवाज साफ रहती है, मुलेठी की तरह की मिस्वाक का इस्तेमाल शायर, कव्वाल और गायक करते हैं।
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