Ramzan mein Humbistari: रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। मुसलमान इबादत ओ तिलावत में रम चुके हैं। इंसान कितना भी धार्मिक क्यों न हो जाए होता तो वो एक इंसान ही है। मिट्टी से बनाया हुआ इंसान पैदाइश से ही विपरीत जेंडर के प्रति आकर्षित रहता है। तभी तो इस्लाम में निकाह को अहम दर्जा दिया गया है। आम दिनों की तरह रमजान में भी मोमिन का दिल करता है कि वह अपनी ज़ोजा, पत्नी, बीवी या शरीके हयात जो भी कह लो उसके साथ कुछ रूमानी लम्हें बिताना चाहता है। लेकिन रमजान की पाकीजगी का ख्याल करते हुए कई मुसलमान इस महीने में बीवी से दूर अलग बिस्तर पर सोते हैं। जबकि इस्लाम में बीवी को सुकून का जरिया बताया गया है। हम आपको रमजान के महीने में बीवी के साथ हमबिस्तरी (Ramzan mein Humbistari) को लेकर नियम कायदे की जानकारी दे रहे हैं। ताकि रमजान का एहतराम रखने के साथ आपकी पारिवारिक जिंदगी में भी खुशहाली बनी रहे।
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वैसे तो रमजान में बीवी के साथ सोहबत करने से बचने का हुक्म दिया गया है। नबी ए करीम ने कहा कि रमजान में अपनी बीवियों से थोड़ी दूरी कायम करों ताकि इबादत में नफ्स का खलल न पड़ें। चूंकि शैतान इस महीने में कैद है, ऐसे में जिंसी ख्वाहिश पूरा करने के चक्कर में मोमिन का ईमान खतरे में आ सकता है। वैसे आप रोजा खोलने से लेकर सेहरी से पहले तक अपनी पत्नी के साथ संबंध बना सकते हैं। लेकिन हमबिस्तरी के तुरंत बाद आपको गुस्ल करना होगा, यानी स्नान करके पाक होना पड़ेगा। मियां बीवी दोनों का संबंध बनाने के बाद गुस्ल के तरीके से नहाना बहुत ज्यादा जरूरी है। वरना रोजा कुबूल नहीं होगा और अल्लाह के गजब का आपको सामना करना पड़ेगा।
❝बिस्मिल्लाही अल्लाहुम्मा जन्निबनश-शैताना वा जन्नीबिश-शैताना मा रज़कताना❞
हिंदी अर्थ – अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ, अए अल्लाह! हमसे शैतान को दूर रख और जो कुछ हमे तू (औलाद) दे उस से भी शैतान को दूर रख।
English Translation: In the name of Allah. O Allah, keep the devil away from us and keep the devil away from what you have blessed us with.
[सहीह बुखारी #3271]
हदीस: रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: “जब कोई शख्स अपनी बीवी के पास आता है (यानी हमबिस्तरी का ईरादा करता है) और ये दुआ पढ़ता है फिर अगर उनके यहा बच्चा पैदा होता है तो शैतान उसे कोई नुक़सान नही पहुंचा सकता।”
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पत्नी से रोजे की हालत में शारीरिक संबंध बनाने से न केवल रोजा टूट जाता है, बल्कि अल्लाह तआला भी इससे बहुत नाराज होते हैं। यानी Ramzan mein Humbistari को कबीरा गुनाह माना गया है। इस गुनाह का कफ्फारा यानी प्रायश्चित ये है कि आप लगातार 60 दिनों के रोजे रखे और 60 दिन तक गरीबों को खाना खिलाए। तब जाकर Ramzan mein Humbistari के गुनाह की माफी मिलेगी। तो इससे अच्छा है हुजूर के बताये अनुसार दिन में सब्र करें और रात में इबादत करें। एक महीना पत्नी को भी कह दें कि ये वक्त अल्लाह के लिए हैं।
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