Ratan Tata Death Time Hindi: वो रतन टाटा ही थे जिन्होंने एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए कार खरीदने के सपने को साकार कर दिखाया। अपनी 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने टाटा नैनों कार बनाई। जिसको एक मध्यमवर्गीय फैमिली आसानी से अफोर्ड कर सकती थी। दहअसल ये वाकया है तब जब कई बार रतन टाटा अपनी कार बैठकर शहर की सड़कों को अक्सर घूमने जाया करते थे। इस दौरान उन्होंने कई बार देखा कि एक परिवार स्कूटर पर सवार होकर एक साथ कहीं जाता है।
ऐसे आया आइडिया
स्कूटर में इतनी छोटी सी जगह में बच्चे माता-पिता के बीच किसी तरह से एडजस्ट हो पाते थे। उन्हें देखकर ऐसा लगता था जैसे उनकी हालत किसी सैंडविज जैसी हो। यह देखर रतन टाटा के अंदर का जाग जाता था। वह सोचने लगता था कि कितना अच्छा होता कि इन लोगों के पास एक छोटी सी ही सही लेकिन एक कार होती. वे लोग कार में आराम से सीट पर बैठकर जाते. उन्हें धूल और बारिश की भी चिंता नहीं सताती. स्कूटर पर इस तरह लदकर जाते लोगों को देखकर रतन टाटा को एक छोटी कार बनाने की सोची। वैसे भी कार खरीदना हर किसी का सपना होता है।
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बना दी लखटकिया
लेकिन इतने पैसे ना होने के कारण ये सपना सपना ही रह जाता है लेकिन रतन टाटा ने हर उस इंसान के सपने को सपना ना रहने दिया। दिन रात की मेहनत के बल पर बना दी टाटा नैनो कार। जो लखटकिया के नाम से भी मशहूर हुई। इसे कार को लोगों ने हाथों-हाथ लिया। टाटा ने कार की मांग को देखते हुए लॉटरी से पहले एक लाख कारों को देने का फैसला किया। इसके लिए दो लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया। इनमें से एक लाख लोगों का चयन टाटा नैनो कार देने के लिए हुआ।
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