जम्मू-कश्मीर के एक 13 साल पुराने मामले में अब फैसला सुनाया गया है। जिसमें दो डाॅक्टरों को उनकी रिपोर्ट झूठी होने पर दोषी करार किया गया है। कहा जा रहा है ये डाॅक्टर पाकिस्तान के साथ मिले हुए थे। दरअसल यहां के शोपियां में 30 मई 2009 में आसिया और नीलोफर नाम की दो महिलाओं के शव नदी में पाए गए थे।
जिनके पोस्टमॉर्टम में दोनों के साथ रेप होने की बात सामने आई थी। जिसका आरोप वहां तैनात सेना के जवानों पर लगा था। कश्मीर में 42 दिनों तक इस रिपोर्ट के बाद भारी हिंसा हुई थी और घाटी बंद भी रही थी। इस मामले की जांच सीबीआई को दी गई थी। जिसकी जांच में यह आरोप झूठे निकले हैं।
नौकरी से बर्खास्त हुए दोनों डाॅक्टर
मामले की पूरी जांच में सामने आया है कि दोनों डाॅक्टरों ने झूठी रिपोर्ट पेश की थी। जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से दोषी डॉ. बिलाल अहमद और डॉ. निगहत शाहीन चिल्लू को उनकी नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। 2009 में 14 दिसंबर को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में मामले की चार्जशीट पेश की गई थी। जहां इन दोनों डॉक्टरों और 13 अन्य लोगों पर सबूत से छेड़छाड़ करने की बात कही गई थी।
पाकिस्तान का था हाथ
डॉक्टरों पर यह रिपोर्ट बनाकर घाटी में हिंसा का माहौल बनाने के लिए पाकिस्तान की साजिश होने की भी बात सामने आई है। जिसके लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दी गई जानकारी बदलने का भी आरोप लगाया गया था। जिससे वहां तैनात सेना को भी टारगेट किया जा सके।
डूबने से हुई थी मौत रेप को बताया कारण
जानकारी के अनुसार जब उस समय शोपियां में दो महिलाओं के शव नदी में मिले थे। तब डॉ. बिलाल और डॉ. निगहत से उन दोनों का पोस्टमॉर्टम करवाया गया था। बाद में जब रिपोर्ट आई तो 29 मई 2009 को महिलाओं के साथ रेप होने और हत्या को कारण बताया गया।
42 दिन तक कश्मीर रहा था बंद
रिपोर्ट के सामने आने पर कश्मीर के लोगों ने आर्मी के खिलाफ खूब विरोध प्रदर्शन किया था। जो करीब 42 दिनों तक चला और कश्मीर बंद हो गया। जिसके बाद सीबीआई ने इस केस की जांच शुरू की थी। कहा जा रहा है उमर अब्दुल्ला सरकार के एक अफसर को इस मामले की सही जानकारी थी। फिर भी उसने कुछ नहीं कहा।
सीबीआई ने कहा दुर्घटना थी मौत
सीबीआई की जांच में उन महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या होने को गलत बताया गया। जबकि उनकी मौत को एक दुर्घटना बताया गया। 14 दिसंबर 2009 में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में सीबीआई की ओर से यह रिपोर्ट दी गई थी।