Rooh Shayari in Hindi: जिस्म सौ बार जले तब भी मट्टी का ढेला रूह एक बार जलेगी तो कुंदन होगी, गुलज़ार साहब की ये शायरी रूह को सुकून देती है। शायरी में जिस्म की जगह रूह को ज्यादा महत्व दिया गया है। रूह पर शायरी तो आपने बहुत सुनी होगी लेकिन हम आज आपको रूहानी शायरी (Rooh Shayari in Hindi) बताने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आपको आनंद आ जाएगा। हमारा यकीन है कि अगर कोई बंदा टेंशन की हालत में ये शायरी पढ़ ले तो उसकी रूह को सुकून नसीब हो जाएगा। दोस्तों और यारों के साथ इसे जरूर शेयर करें।
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रूहानी शायरी
1
हर लम्हा कमी मेरी महसूस तुझे हो,
हो दर्द मुझे कोई महसूस वही तुझे हो।
रूह से जुड़ा है यकीनन रिश्ता ये हमारा,
जो महसूस मुझे हो वो महसूस तुझे हो।।
2
अपनी रूह को कुछ यूं बेक़रार किया,
हमनें आज फिर तेरा इंतज़ार किया।
3
बात रूह की अब कर नहीं सकते,
दिल ने ही दिल को समझा नहीं।
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4
अब न कोई हमें मुहब्बत का यक़ीन दिलाए,
हमें रूह में भी बसा कर निकाला है किसी ने।
5
दिल में आहट सी हुई रूह में दस्तक गूंजी,
किस की खुशबू ये मुझको अंदर से है आई।