जयपुर। RSS BJP Fight : भारत में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद बाद से ही RSS यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निशाने पर भारतीय जनता पार्टी लगातार आ रही है। इसको लेकर पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार को चेताया था। लेकिन अब कार्यवाहक सरसंघचालक इंद्रेश कुमार ने धावा बोलते हुए बीजेपी पर तंज कसा है। अब लाखों लोग यही सोचते थे कि संघ हमेशा बीजेपी का समर्थक रहा लेकिन अब आरएसएस के पदाधिकारियों के बयानों से मामला अलग ही दिखाई पड़ रहा है। क्योंकि संघ की तरफ से बीजेपी के खिलाफ बयान दिए जा रहे हैं। दरअसल, यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसके तहत संघ और भाजपा के बीच दूरियां बननी शुरू हो गई थी। ये दूरियां लोकसभा चुनाव के दौरान और अधिक बढ़ गई। अब यदि यह टकराव जारी रहा तो लोकसभा चुनाव 2028 में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से हुई शुरूआत
गौरतलब है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की गई थी जिस समारोह को भाजपा ने बड़ी धूम धाम से मनाया था। हालांकि, भगवान श्रीराम करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र हैं परंतु राम मंदिर का काम पूरा होने से पहले ही उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई जिससें शंकराचार्य नाराज हो गए। उनका यह कहना था कि चुनावी फायदे के लिए भाजपा मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही प्राण प्रतिष्ठा कर रही है जो ठीक नहीं। उनकी इस बात से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी सहमत था। परंतु, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर संघ कुछ नहीं कर सका। तभी से भाजपा और संघ के बीच की दूरियां बढ़ना शुरू हो गई।
मोहन भागवत दे चुके हैं नसीहत
आपको बता दें कि हाल ही में यानि 10 जून को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चीफ मोहन भागवत ने संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में भाजपा को नसीहत दी थी। इस दौरान वो चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर जमकर बोले थे। उन्होंने बयान दिया कि जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है। उन्होंने यह भी कहा कि जब चुनाव होता है तो टक्कर जरूरी होती है। दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, परंतु इसकी एक सीमा होती है। यह टक्कर झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए।
जेपी नड्डा के बयान में दिखा RSS से अलगाव
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण के मतदान के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि शुरुआत में हम कम सक्षम थे जब हमें RSS की जरूरत होती थी। लेकिन, अब हम सक्षम हैं। आज भाजपा स्वयं को चलाती है। इसी बयान से भाजपा व आरएसएस के बीच खींचतान चल पड़ी जिसका नतीजा भी दिखा।
संघ सबको साथ लेकर चाहता है
जैमिनी ने कहा है कि आरएसएस हिंदूवादी संगठन है जो सभी हिंदुओं को एकसाथ लेकर चलता है। संघ हमेशा धर्म गुरुओं और शंकराचार्यों के फैसलों से पक्ष में रहा है। अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में धर्म गुरुओं और शंकराचार्यों की अनुमति नहीं ली गई। इसको लेकर कुछ शंकराचार्यों ने तो खुलकर बयान दिए थे कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह मुहूर्त के अनुसार नहीं होकर राजनैतिक फायदे के तहत हो रहा है। इसमें हिंदू संगठन भी शंकराचार्यों के साथ खड़े दिखे थे। इसी वजह से आरएसएस भी भाजपा की मनमानी से नाराज हो गया।
पंचायती राज, विधानसभा व लोकसभा चुनाव 2028 पर असर
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का ‘400 पार’ वाला सपना पूरा नहीं हो पाया। वहीं, राजस्थान में भी ‘मिशन 25’ पूरा नहीं हुआ। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों से भाजपा सीख नहीं लेती है तो उसें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। राजस्थान में इसी साल नगर निकाय चुनाव हैं। वहीं, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसके बाद लोकसभा चुनाव 2028 में भाजपा का क्या हाल होगा ये आरएसएस पर निर्भर करेगा।
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