जयपुर। RSS के 500 स्वयंसेवकों ने दुश्मनों से श्रीनगर हवाई अड्डा बचाया था जो कि एक ठंडी रात की खौफनाक कहानी है। बात ये है कि 27 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। उस दौरान कश्मीर में भारी बर्फबारी हो रही थी जिसकी वजह से श्रीनगर हवाई अड्डे पर भारी बर्फ जमा हो गई भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान नहीं उतर पा रहे थे। जबकि, दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना तेज गति से आगे बढ़ रही थी ऐसे में कश्मीर को शीघ्र सैन्य मदद चाहिए थी। इसी बीच दिल्ली के सेना कार्यालय से श्रीनगर को संदेश प्राप्त हुआ कि किसी भी परिस्थिति में श्रीनगर के हवाई अड्डे पर शत्रु का कब्जा नहीं होना चाहिए। शत्रु श्रीनगर को जीत लें, तो भी चलेगा, परंतु हवाई अड्डा बचना चाहिए। हम हवाई जहाज से सेना के दस्ते भेज रहे है। लेकिन, श्रीनगर से यह प्रतिउत्तर आया कि ‘हवाई अड्डे पर सर्वत्र हिम के ढेर लगे हैं। हवाई जहाज उतारना अत्यंत कठिन है।”
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सेना प्रमुखों को याद आया RSS
दिल्ली से श्रीनगर को आदेश दिया गया कि मजदूर लगाकर तुरन्त बर्फ हटाइए, चाहे कितनी भी मजदूरी देनी पड़े और इस काम के लिए कितने भी मजदूर लगाने पड़े, व्यवस्था कीजिए। लेकिन मजदूर नहीं मिल रहे थे। ऐसे समय में सेना के प्रमुखों को याद आया संघ यानि RSS। रात्रि के 11 बजे थे। एक सैन्य जीप संघ- कार्यालय के आगे आकर रूकी जिसमें से एक एक अधिकारी उतरे। कार्यालय में प्रमुख स्वंय सेवकों की बैठक चल रही थी। प्रेमनाथ डोगरा व अर्जुन जीं वही बैठे थें। सेनाधिकारी ने गंभीर स्थिति का संदेश दिया। और फिर पूछा- “आप हवाई अड्डे पर लगे हिम के ढेर हटानें का कार्य कर सकेंगे क्या?”
RSS ने सेना को 45 मिनट में दिए 500 स्वयंसेवक
अर्जुन जी ने सेनाधिकारी की बात सुनकर कहा- “अवश्य! कितने व्यक्ति सहायता के लिए चाहिए।” ‘कम से कम 150, जिससे 3-4 घंटों में सारी बर्फ हट जाये।” इस पर अर्जुन जी ने कहा – “हम 500 स्वयंसेवक देते है।” इस पर अधिकारी ने कहा “इतनी रात्रि में आप इतने…..?” अर्जुन जी ने सैन्य अधिकारी ने आश्चर्य से कहा “आप हमें ले जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था कीजिए। 45 मिनट में हम तैयार है।” संघ कि पद्धति का कमाल था कि तय समय पर सभी 500 स्वयंसेवक कार्यालय पर एकत्र होकर साथ-साथ चले गये। दिल्ली को संदेश भेजा गया-“बरफ हटाने का काम प्रारंम्भ हो गया है। हवाई जहाज कभी भी आने दें।”
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RSS की बदौलत बच गया श्रीनगर हवाई अड्डा
इसके बाद जब RSS स्वयंसेवक लेकर अधिकारी हवाई अड्डे पर पहुंचे तो किसी ने पूछा “इतनी जल्दी मजदूर मिल गये क्या?” इस पर सेनाधिकारी ने कहा “हाँ, पर वे मजदूर नही, सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य हैं।” इसके बाद रात्रि के 1:30 स्वयंसेवक काम पर लग गये। 27 October को प्रातः के समय प्रथम सिख रेजीमेन्ट के 329 सैनिक हवाई जहाज से श्रीनगर उतरे और उन्होने बड़े प्रेम से स्वंयसेवको को गले लगाया। फिर क्या था एक के बाद एक ऐसे 8 हवाई जहाज उतरे। उन सभी हवाई जहाजों में प्रयाप्त मात्रा में शस्त्रास्त्र थे। सभी स्वंयसेवको ने वे सारे शस्त्रास्त्र भी उतार कर ठिकाने पर रख दिये। इस वजह से हवाई अड्डा शत्रु के कब्जे में जाने से बच गया। जिसका सामरिक लाभ हमें प्राप्त हुआ। हवाई पट्टी चौड़ी करने का कार्य भी तुरन्त करना था, इसलिए विश्राम किये बिना ही स्वंयसेवक काम में जुट गये।
1. संदर्भ पुस्तक :-
न फूल चढे न दीप जले।
2. संदर्भ
शाखा पुस्तिका (तरूण एवं प्रौढ़ व्यवसायी)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जयपुर महानगर
पौष कृष्ण प्रतिपदा से फाल्गुन पूर्णिमा,
युगाब्द 5124, विक्रम संवत् 2080,
27 दिसंबर 2023 सेस 25 मार्च 2024