Shab-e-Barat Ki Dua:मुसलमानों के लिए रमजान से ठीक पहले शाबान का महीना आता है। जिसकी 15वीं रात आज है, जिसे शब-ए-बारात की मुक़द्दस रात भी कहा जाता है। Shab-e-Barat की रात में इलाही से बंदा अपने गुनाहों की माफी मांगता है, तथा कब्रिस्तानों में जाकर पुरखों की मगफिरत की दुआएं मांगता हैं। दिन में मीठे पकवान और हलवा बनाया जाता है। वही शाम में मस्जिदों पर रौशनी करके तकरीर का प्रोग्राम भी किया जाता है। लेकिन सबसे खास बात कि Shab-e-Barat की रात में वो कौनसी दुआ पढ़नी चाहिए जिससे अल्लाह तआला खुश होकर आपके सब गुनाह माफ कर दे। हम आपको बताने जा रहे हैं कि Shab-e-Barat Ki Dua किस तरह से और कब पढ़े ताकि आपको मजीद फायदा हासिल हो सके।
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शबे बारात की ताकतवर दुआ
कुरआन और हदीस की रोशनी में देखे तो शबे बारात की रात में अल्लाह की इबादत ज्यादा से ज्यादा की जाए, कुरआन शरीफ की तिलावत की जाए तथा खास किस्म की नमाज़ जिसे सलातुल हाजत भी कहते हैं, वो नमाज शबे बारात में जरूर पढ़ें। इसके साथ ही तौबा अस्तग़फार पढ़ते रहे।
“सुब्हानल्लाहि वल हम्दुलिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
इस तस्बीह को खात तौर से Shab-e-Barat Ki नमाज में पढ़ते रहे। इससे अल्लाह आपके गुनाह माफ कर देंगे। इसके अलावा आप दुआ निस्फ ए शाबान भी पढ़े। साथ ही यासीन शरीफ की तिलावत करते रहे। दुआ के शुरु औऱ आखिर में दुरूद शरीफ जरूर पढ़े, जिससे दुआ की हिफाजत हो जाती है। वरना दुआ जमीन आसमान के बीच लटकती रहती है।
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शबे बारात क्या है?
शबे बारात की रात को गुनाहों की माफी वाली रात कहा गया है। शब यानी रात और बारात यानी गुनाहों से बरी होना। तो मौला इस रात अपने बंदों के सगीरा और कबीरा सभी गुनाह माफ कर देते हैं। मुस्लिम बंधु इस रात मस्जिदों को रौशन करते हैं, तथा शहर-ए-खामोशा में जाकर मुर्दों के लिए फातिहा और मगफिरत की दुआएं करते हैं।
शब-ए-बारात में और क्या करे?
अगले दिन का रोजा भी रखा जाता है। रमजान से पहले शाबान का रोजा आपको रोजा रखने की कुव्वत पैदा देता है। पैगंबर साहब ने फरमाया है कि जिसने शाबान का रोजा रखा तो उससे अल्लाह बहुत राज़ी होते हैं। साथ ही शाबान के महीने में नेकी का बदला भी ज्यादा मिलता है। चूंकि इसके 14 दिन बाद ही रमजान का मुकद्दस महीना शुरु हो जाता है। तो आप भी Shab-e-Barat Ki Dua और मुस्लिमों तक पहुंचाकर सवाबे दारेन हासिल करे।