Shab-e-Meraj 2024: मुसलमानों के त्योहारों की बात करे तो ईद बकराईद के अलावा खुद उनको भी नहीं पता रहता है कि कब कौनसा दिन आता है। अभी रजब का महीना चल रहा है। इसके बाद शाबान और फिर रमजान आएगा। हाल ही में कुंडे का त्योहार 22 रजब को मनाया गया था। अब 7 फरवरी 2024 की शाम से यानी 8 फरवरी को शब-ए-मेराज की रात आ रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शब-ए-मेराज यानी मेराज की रात में हज़रत मुहम्मद स. अ. ने जमीन से आसमान का सफर किया था इसलिए 27 रजब को शबे मेराज़ (Shab-e-Meraj 2024) यानी मेराज की रात के नाम से जाना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि इस रात में मेडिकल साइंस को लेकर भी एक अहम तथ्य छुपा है। तो चलिए नजर डालते हैं कि मेराज की रात में ऐसा क्या हुआ था।
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Shab-e-Meraj 07 फरवरी, 2024 की शाम को शुरू होगी। दुनिया भर के मुसलमानों के लिए यह रात ‘द नाइट जर्नी’ के रूप में भी मुकद्दस दर्जा रखती है। इस रात को पैगंबर मोहम्मद साहब ने बुराक यानी उड़ने वाले घोड़े पर बैठकर जमीन से सातवे आसमान तक का सफर किया था। मेराज की रात में ही नबी साहब को अल्लाह की तरफ से नमाज का तोहफा मिला था। जन्नत और जहन्नम यानी स्वर्ग और नरक को भी आखिरी नबी ने अपनी आंखों से देखा। इसी रात को एक और ऐसा वाकिया हुआ था, जिसके बारे में खुद मुसलमान भी बहुत कम जानते हैं।
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मेराज की रात में ही दुनिया की सबसे पहली ओपन हार्ट सर्जरी (Shab-e-Meraj Open Heart Surgery) की गई थी। आखिरी नबी हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस रात दो सफर किये। जमीन का सफर मक्का से मस्जिदे अक्सा तक का था, जिसे इसरा कहा जाता है। मस्जिदे अक्सा वही पवित्र स्थान है जिसके लिए इजराइल और फलीस्तीन में खूनी जंग छिड़ी हुई है। फरिश्तों के सरदार जिन्हे जिब्रील अमीन कहा जाता है। उन्होंने मेराज की रात पर ले जाने से पहले नबी ए करीम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ओपन हार्ट सर्जरी (Shab-e-Meraj Open Heart Surgery) की थी। उन्होंने अपने पंखों से नबी जी के सीने पर चीरा लगाकर दिल को बाहर निकाला। उसके बाद दिल को चीरकर उसमें जन्नत से लाया हुआ नूर यानी प्रकाश भरा। उसके बाद दिल की सारी गंदगी को जमजम के पाक पानी से धोकर वापस दिल को अपनी जगह फिट कर दिया। दुबारा पंखों से सीना जोड़कर आसमान पर जाने के लिए नबी जी को तैयार कर दिया। बिना किसी एनेस्थीसिया के यह दुनिया की पहली ओपन हार्ट सर्जरी थी, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
Shab-e-Meraj यानी लैलत अल मिराज जिसे इसरा अल मिराज भी कहा जाता है। एक ऐसी ऐतिहासिक रात जिसका इस्लामी इतिहास में अहम किरदार है। जब आखिरी नबी हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने जमीन से सीधे सातवे आसमान पर मुलाकात के लिए बुलाया था। इस सफर को 2 भागों में विभाजित किया गया है, जिन्हें इसरा और मेराज (Shab-e-Meraj 2024 kab hai) कहा जाता हैं। यानी मक्का से यरुशलम मस्जिदे अक्सा का सफर इसरा यानी जमीनी सफर है। जबकि मस्जिदे अक्सा से सातवे आसमान तक का सफर मेराज कहलाता है। सातवे आसमान पर अल्लाह से मुलाकात के बाद पैगंबरे इस्लाम को 50 नमाजों का तोहफा दिया गया था। धीरे धीरे कम करवाते हुए आखिर में 5 नमाजे रह गई। इस रात में मुसलमान अपने गुनाहों पर शर्मिंदा होकर रब की बारगाह में खूब नमाज पढ़ते हैं।
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