Shab e Qadr Surah : रमजान का पाकीजा दूसरा अशरा चल रहा है। तीसरा अशरा जहन्नम की आग से आजादी का होता है जो 21 रमजान से तीस रमजान तक होता है। इसमें एक खास रात होती है जिसे शबे कद्र या लैलतुल कद्र की रात भी कहा जाता है। शब ए कद्र में ही अल्लाह तआला ने नबी ए पाक पर कुरआन मजीद नाजिल (उतारा) किया था। इसलिए यह रात खासतौर पर इबादत की रात मानी जाती है। मान्यता है कि इस रात में की गई इबादत हज़ारों महीनों की इबादत से बेहतर है। कुरान पाक में इस किस्से को बयान करने के लिए एक सूरत उतारी गई जिसे सूरह कद्र (Shab e Qadr Surah) कहा जाता है। हम उस सूरत में क्या कहा गया है उस पर रोशनी डालेंगे। ताकि मोमिनों को पता चले कि शबे कद्र अल्लाह तआला का कितना बड़ा इनाम है जिसे कुरआन में बयान फरमाया गया है।
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बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
1. इन्ना अनज़ल नाहु फ़ी लैयलतिल कद्र
2. वमा अदराका मा लैयलतुल कद्र
3. लय्लतुल कदरि खैरुम मिन अल्फि शह्र
4. तनज्जलुल मलाइकातु वररूहु फ़ीहा बिइज़्नि रब्बिहिम मिन कुल्लि अम्र
5. सलामुन हिय हत्ता मत लइल फज्र
1. बेशक हम ने कुरान को शबे क़द्र में नाजिल फ़रमाया है
2. और आप को मालूम है कि शबे क़द्र क्या है ?
3. शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है
4. इस रात में फ़रिश्ते रूहुल अमीन (जिब्रील अलैहिस्सलाम) अपने रब के हर काम का हुक्म लेकर उतरते हैं
5. ये रात (सारापा) पूरी तरह सलामती है, जो सुबह फज्र होने तक रहती है।
1. Innaa anzalnaahu fee lailatil qadr
2. Wa maa adraaka ma lailatul qadr
3. Lailatul qadri khairum min alfee shahr
4. Tanaz zalul malaa-ikatu war roohu feeha bi izni-rab bihim min kulli amr
5. Salaamun hiya hattaa mat la’il fajr
إِنَّا أَنزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ
وَمَا أَدْرَاكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِ
لَيْلَةُ الْقَدْرِ خَيْرٌ مِّنْ أَلْفِ شَهْرٍ
تَنَزَّلُ الْمَلَائِكَةُ وَالرُّوحُ فِيهَا بِإِذْنِ رَبِّهِم مِّن كُلِّ أَمْرٍ
سَلَامٌ هِيَ حَتَّى مَطْلَعِ الْفَجْرِ
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इस 97 नंबर की सूरत में अल्लाह तआला ने कुरान शरीफ के नुजूल को लेकर तथा शबे कद्र की फजीलत को बयान किया है। ताकि मोमिन नसीहत हासिल करें और बाकी रातों की तरह इसे सोने में न गुजार दें। इस रात में अल्लाह के हुक्म से फरिश्तों के सरदार हजरत जिब्रील अमीन और बाकी फरिश्ते जमीन पर आते हैं, और सुबह तक अल्लाह की रहमत बरसाते रहते हैं।
“बेशक हमने कुरआन मजीद को कद्र की रात में नाजिल किया”। कद्र की रात 1000 महीनों से बेहतर है। इस रात अपने रब के हुक्म से फरिश्ते और रुहूल कुदस नाज़िल होती है। हर तरह का अमन खैर और सलामती लाते है।
रमजान के महीने में आखिरी दस रातों की विषम संख्या वाली रातों में से कोई एक रात ही लैलतुल कदर यानी शब ए कद्र की रात होती है। मतलब इस साल भारत में रमजान 12 से शुरु हुए हैं तो 21वीं रात 31 मार्च 2024 को होगी। ऐसे में भारत में शबे कद्र की रात 31 मार्च, 2 अप्रैल, 4,6, व 8 अप्रैल को होगी। यानी रमजान माह की 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं रातों को शब ए कद्र की रात माना जाता है। शब-ए-कद्र में शब के मानी रात, कद्र यानी इज्जत से है। भारत में 27वीं रात पर ज्यादा जोर दिया जाता है। ऐसे में इस साल 6 अप्रैल 2024 को भारत में शबे कदर की रात होगी।
आपको बता दें कि अल्लाह ने कोई एक रात न बताकर इन इन 5 रातों में मुसलमानों को इबादत का हुक्म दिया है। ताकि मुसलमान आखिरी अशरे की ताक रातों में शबे कद्र को तलाश करें। इस रात में सलातुल हाजत की खास नमाज पढ़ी जाती है। कब्रिस्तान में जाकर मरहूम के लिए दुआ ए मगफिरत की जाती है। साथ ही इस रात में कुरान शरीफ की तिलावत का भी खास एहतिमाम किया जाता है। कुल मिलाकर लैलतुल कद्र की रात में जागकर मुसलमान हजारों महीनों की इबादत का सवाब हासिल कर सकता है।
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