Shabe Qadr Shayari : अलविदा की घड़ी आ गई देखो माहे रमजान जा रहा। माहे रमजान का आखिरी जुम्मा आज हो चुका है। कल 6 अप्रैल को शबे कद्र की चौथी रात है। जिसे भारत में हम सब 27वीं शब के नाम से भी जानते हैं। लैलतुल कद्र की ये रात हजारों महीनों से अफजल है। हम आपको शबे कद्र की शायरी (Shabe Qadr Shayari) हिंदी में पेश कर रहे हैं। जिन्हें आप यारों रिश्तेदारों को शेयर करके 27वीं रात की मुबारकबाद दे सकते हैं। ईद का चांद 10 अप्रैल 2024 को नजर आ सकता है। शबे कद्र के मौके पर पेश है हमारे शायर इरफान की लिखी कुछ Shabe Qadr शायरी –
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शबे कद्र की शायरी हिंदी में
(Shabe Qadr Shayari)
1.
के कद्र कर लो इसकी तुम,
कद्र वाली रात है ये।
हजार महीने से भी अफजल,
सब्र वाली रात है ये।।
“शब-ए-क़द्र मुबारक हो”
2.
बेशक रात बड़ी कमाल की है,
मिसाल नबी के जमाल की है।
होगी गुनाहों की बख्शिश आज,
मोमिनों ये रात 83 साल की है।
“शब-ए-क़द्र मुबारक हो”
3.
जुमातुल के बाद अब है लैलतुल की बारी,
रमजान के बाद बंदों होगी बहुत बेकरारी।
अब भी वक्त है संभल जाओ जरा तुम,
आसमान से रहमत है अब तलक जारी।।
“शब-ए-क़द्र मुबारक हो”
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4.
नबी के सदके में मुबारक शब मिली है,
कद्र वाली रात हमकों या रब मिली है।
रात रात भर रोए है नबी जब फिक्र में,
उम्मते मुहम्मदिया को ये तब मिली है।।
“शब-ए-क़द्र मुबारक हो”
5.
कर लो इबादत आज की रात,
कर लेना बाद में दुनियावी बात।
हरेक लम्हा इसका बड़ा कीमती है,
मेहरबान है आज अल्लाह की ज़ात।।
“शब-ए-क़द्र मुबारक हो”