Shabe Qadr Signs : कुरान मजीद को जिस पवित्र रात में नाजिल किया गया है उसे इस्लाम में लैलतुल कद्र यानी शबे कद्र की रात कहा गया है। कुरान में लैलतुल कद्र पर एक सूरत भी उतारी गई है जिसे सूरह कद्र कहते है। हजार महीनों से अफजल ये रात आखिरे अशरे की विषम रातों में पाई जाती हैं। जैसे 21,23,25,27,29 रातों में ये शबे कद्र की रात होती है। इस रात में दुआएँ कुबूल होती हैं तथा मौला की खास रहमत लेकर रूहूल कुदूस जिब्रील अमीन मलाईका के साथ जमीन पर उतरते हैं। इन पांच रातों में से लैलतुल कद्र की रात कौनसी है ये तो केवल अल्लाह रब्बुल इज्जत को ही पता है, लेकिन मुसलमानों की आसानी के लिए हदीस और कुरान में शबे कद्र की कुछ निशानियां बताई गई हैं। हम आपको वो तरीका बता रहे है जिससे आपको शबे कद्र (Shabe Qadr Signs) की असल रात का पता चल सकता है। वैसे सही इल्म को केवल अल्लाह को ही है, लेकिन उसने बंदों की सहूलत के लिए कुरान मजीद में कुछ खास निशानियां बयान की हैं।
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शबे कद्र किस रात में ऐसे पता चलेगा
(Shabe Qadr Signs)
1. इस रात न तो ज्यादा सर्दी होगी और न ही अधिक गर्मी। Shabe Qadr की रात में मौसम बिल्कुल खुशनुमा होगा। साथ ही Shabe Qadr की रात में आसमान से रहमत की बारिश भी हो सकती है। यानी इस रात को आपको अपने एक अलग ही खुशी महसूस होगी।
2. Shabe Qadr की सुबह सूरज की रोशनी तेज नहीं होगी और न ही यह आंखों में को लगने वाली होगी। यानी सूरज इस दिन किरणों में तपिश नहीं बल्कि ठंडक लिए होगा। क्योंकि फरिश्तों के सरदार जिब्रील अलैहिस्सलाम अपनी मलाईका की जमात के साथ जमीन पर उतर आते हैं। ऐेसे में फरिश्तों के नूर की वजह से आफताब यानी सूरज की रौशनी मद्धम हो जाएगी।
3. लैलतुल कदर की इस रात में केवल इंसान ही नहीं, बल्कि जिन्नात, हैवान और जानवर भी बहुत शांत नजर आते हैं। शबे कद्र में कुत्ते भी नहीं भौंकते हैं। क्योंकि इस रात को आसमानी फरिश्ते जमीन पर आ जाते हैं। कुत्तों को फरिश्ते नजर आते हैं, इसी वजह से वे शांत रहते हैं।
लैलतुल क़द्र का क्या मतलब है?
‘लैल’ का मतलब अरबी में रात से है जबकि क़द्र का मतलब सम्मान या इज्जत से है। इस प्रकार लैलतुल कद्र का मतलब है सम्मान और शान की रात। इसे ‘शब-ए-कद्र’ भी कहा गया हैं। जिस रात में कुरान शरीफ को आसमान से जमीन पर नबी ए करीम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल किया गया था उसे लैलतुल कदर यानी शबे कद्र की रात कहा जाता है। कुरान में लिखा है कि ये रात 1000 महीने के बराबर है। यानी इस रात जिस बंदे ने अल्लाह की इबादत की,कुरान की तिलावत की,जिक्र किया तो उसको एक हजार महीने यानी तीस हजार दिन यानी करीब 84 साल की इबादत का सवाब मिलता है।
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शबे कद्र पांच रातों में क्यों आती हैं?
शबे कद्र की पवित्र रात इन पांच ताक रातों में से कोई एक रात ही होती है। लेकिन जब ये बात अल्लाह ने हुजूर को बताने का फैसला किया तभी मक्का में दो लोग आपस में लड़ाई कर रहे थे। उनके झगड़े की वजह से मौला ने शबे कद्र की सही तारीख छुपा दी। तो अब मुसलमान इन पांच रातों में जागकर वो एक रात लैलतुल कद्र तलाश करते हैं। भारत में 27वीं शब को ज्यादा महत्व दिया जाता है। जबकि laylatul qadr 2024 पांच में से कोई भी एक रात हो सकती है। अल्लाह हमें शबे कद्र की कदर करने की तौफीक अता फरमाएँ।
दूसरी शबे कद्र कब है?
(2nd Shab e Qadr)
पहली शबे कद्र की रात 31 मार्च की रात को गुजर चुकी है। अब दूसरी रात 23वीं रात होगी, यानी बाईसवें रमजान की रात। क्योंकि इस्लाम में हिजरी कैलेंडर शाम के समय से अगली शाम तक चलता है। मतलब रोजा अगर 22वां है तो उस दिन 23वीं रात होगी। ऐसे में भारत में दूसरी लैलतुल कद्र (2nd Shab e Qadr) की रात कल 2 अप्रैल 2024 की रात होगी।