जयपुर। अयोध्या में भगवान श्रीराम की वापसी हो गई और भव्य मंदिर पूरी दुनिया में उनकी महिमा बढ़ा रहा है। प्रभू श्रीराम ने त्रेता युग में अवतार लिया था जिसके बाद द्वापर युग बीतकर अब कलियुग चल रहा है। इस लंबे काल खंड में भगवान श्रीराम के वंशज पूरे भारत समेत दुनिया के कोने—कोने में बस चुके हैं। ऐसे में आज हम आपको प्रभू श्रीराम का जो वंश चला उसको लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे करने वाले हैं। क्योंकि प्रभू श्रीराम के वंसज सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम (Shri Ram Ke Vanshaj Hindu Muslim) भी है जो आज भी मौजूद है। तो आइए जानते हैं
राजा दशरथ के चार पुत्र थे श्रीराम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघन। भरत के 2 पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और चन्द्रकेतु हुए और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन हुए। मथुरा को ही पहले शूरसेन कहा जाता था। लव और कुश श्रीराम व सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय किया तो भरत नहीं माने। अत: दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का राज्याभिषेक किया गया। श्रीराम ने कुश को दक्षिण कौशल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या राज्य सौंपा तो लव को पंजाब दे दिया। लव ने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया। आज के तक्षशिला में तब भरत पुत्र तक्ष और पुष्करावती (पेशावर) में पुष्कर गद्दी पर बैठे थे। हिमाचल में लक्ष्मण के पुत्र अंगद का अंगदपुर और चंद्रकेतु का चंद्रावती में राज्य था। मथुरा में शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु का और दूसरे पुत्र शत्रुघाती का भेलसा (विदिशा) में राज्य था।
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श्रीराम के काल में दो थे कोशल राज्य
श्रीराम के काल में दो कोशल राज्य थे—कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल। कालिदास के रघुवंश के मुताबिक श्रीराम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य पाट सौंपा था। शरावती को श्रावस्ती कहा जाए तो लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कोसल प्रदेश में था। कुश की राजधानी कुशावती यानि आज का बिलासपुर थी। कोसला राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि है। रघुवंश के मुताबिक कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना होता था जिससें सिद्ध होता है कि उनका राज्य दक्षिण कोसल में मौजूद था। राजा लव से राघव राजपूतों जन्मे जिनमें बड़गुजर, जयास और सिकरवार हुए। इन्ही की दूसरी शाखा सिसोदिया राजपूत वंश की थी जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश हुए। कुश से कुशवाह राजपूतों का वंश चला। राजा लव ने लवपुरी बसाया था जो अब पाकिस्तान का लाहौर शहर है। लाहौर के एक किले में लव का एक मंदिर भी है।
ये हुए कुश वंश के राजा
श्रीराम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा जिससे अतिथि और अतिथि से, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, छल से, उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ।
कुश वंश पैदा हुए कुशवाह
कुश वंश के राजा सीरध्वज के सीता नाम की एक पुत्री हुई। इसके बाद भी सूर्यवंश आगे बढ़ा जिसमें कृति नामक राजा का पुत्र जनक हुआ जिसने योग मार्ग का रास्ता अपनाया था। कुश वंश से कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय निकले। एक शोधानुसार कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। इसकी गणना करने पर कुश महाभारतकाल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे यानि आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व। फिर शल्य के उपरांत बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। माना जाता है कि जो लोग खुद को शाक्यवंशी कहते हैं वे भी श्रीराम के वंशज हैं।
जयपुर राजघराना भी श्रीराम का वंसज (Shri Ram Ke Vanshaj Jaipur)
इससे सिद्ध होता है कि अभी में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने भी दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे।
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मुस्लिम भी हैं भगवान श्रीराम के वंशज (Shri Ram Ke Vanshaj Muslim)
भारत में कई ऐसे राजा और महाराजा हुए जिनके पूर्वज श्रीराम थे। राजस्थान में कुछ मुस्लिम समूह कुशवाह वंश के हैं। मुगल काल में इन सभी ने इस्लाम धर्म अपना लिया। परंतुख् आज भी ये खुद को प्रभु श्रीराम का वंशज ही मानते हैं। इसी तरह मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भगवान राम के वंशज माने जाते हैं। छिरकलोत गोत्र के मुस्लिम यदुवंशी हैं। राजस्थान समेत बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि जगहों पर ऐसे कई मुस्लिम गांव अथवा समूह हैं जो श्रीराम के वंश से ताल्लुक रखते हैं। DNA शोध के अनुसार उत्तर प्रदेश के 65 फीसदी मुस्लिम ब्राह्मण और बाकी राजपूत, कायस्थ, खत्री, वैश्य और दलित वंश से हैं। यह निष्कर्ष लखनऊ के SGPGI के वैज्ञानिकों ने फ्लोरिडा और स्पेन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर की गई अनुवांशिकी रिसर्च के आधार पर निकाला था।