Supreme Court : नई दिल्ली। आजकल की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में मोबाइल हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। देश में मोबाइल यूजर्स की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। यह बात हम सभी जातने हैं कि जब भी कोई अपराधिक घटना होती है तो पुलिस सबसे पहले अपराधी का मोबाइल फोन खंगालते हैं, ताकि कोई सुराग मिल सके। मगर तक क्या हो, जब अपराधी आपके मैसेज और कॉल को डिलीट मार दें? अब इस मामले सुप्रीम कोर्ट ने नसीहत दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का मानना है कि फोन से मैसेज को डिलीट करना कोई अपराध नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि आजकल लोग तेजी से पुराने फोन से नए फोन में शिफ्ट कर रहे हैं। जस्टिस बी. आर. और के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि मोबाइल फोन को नियमित रूप से अपग्रेड किया जाता है, जिससे पुराने संदेश भी डिलीट हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मोबाइल फोन को एक प्राइवेट वस्तु माना है और इस कारण से प्राइवेसी के कारण भी संदेश और अन्य सामग्री डिलीट की जा सकती है। वहीं फोन में अधिक फोटो, वीडियो और संदेश होने के कारण फोन की स्पीड स्लो हो सकती है।
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केंद्र सरकार ने जोड़े नए नियम
देश में मोबाइल फोन के संबंध में अलग से कोई विशेष नियम नहीं है। हालांकि, हाल ही में केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम में संशोधन करके नए नियम जोड़े हैं। आईटी अधिनियम में खासतौर पर सोशल मीडिया के लिए रेगुलेशन हैं, जबकि मोबाइल फोन से संबंधित मामलों में भारतीय संविधान की धाराओं के मुताबिक कार्रवाई की जाती है।
प्राइवेसी का उल्लंघन करने पर होगी सजा
अगर आप मोबाइल फोन से कॉल या मैसेज के जरिए से किसी को धमकाते हैं, तो भारतीय कानून के तहत आपको जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा मोबाइल फोन के जरिए से किसी की प्राइवेसी का उल्लंघन करना भी अवैध है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के मुताबिक, सोशल मीडिया या मोबाइल फोन पर किसी बलात्कार पीड़िता के नाम और फोटो को साझा करना कानून का उल्लंघन माना जाता है।
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