Suryakant Tripathi Nirala Best Poems: इतिहास में ऐसे कालजयी लोग भी हुए हैं जो समय की सीमा से परे हैं। 21 फरवरी 1896 को जन्मे महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी एक कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार, कहानीकार के साथ ही एक जमीन से जुड़े इंसान थे। तभी तो निराला जी की काव्य रचनाओं (Suryakant Tripathi Nirala Best Poems) में वो चीज झलकती है। निराला जी ने कई रेखाचित्र भी बनाये। निराला जी की कविताएं काफी पसंद की गई हैं। पेश है उनकी कुछ शानदार कविताएं जिनको आप शेयर कर सकते हैं।
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महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की 5 प्रसिद्ध कविताएं
1
वह तोड़ती पत्थर
देखा उसे मैंने इलाहाबाद के पथ पर
वह तोड़ती पत्थर
कोई न छायादार पेड़
वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार
श्याम तन, भर बंधा यौवन
नत नयन प्रिय, कर्म-रत मन
गुरु हथौड़ा हाथ
करती बार-बार प्रहार
सामने तरू-मालिका अट्टालिका प्राकार।
2
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्ठी भर दाने को,
भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता
दो टूक कलेजे के करता पछताता।
3
कहते हो, ‘‘नीरस यह
बन्द करो गान
कहाँ छन्द, कहाँ भाव
कहाँ यहाँ प्राण ?
था सर प्राचीन सरस
सारस-हँसों से हँस
वारिज-वारिज में बस
रहा विवश प्यार
जल-तरंग ध्वनि, कलकल
बजा तट-मृदंग सदल
पैंगें भर पवन कुशल
गाती मल्लार।
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4
बैठ लें कुछ देर
आओ,एक पथ के पथिक-से
प्रिय, अंत और अनन्त के,
तम-गहन-जीवन घेर।
मौन मधु हो जाए
भाषा मूकता की आड़ में,
मन सरलता की बाढ़ में,
जल-बिन्दु सा बह जाए।
सरल अति स्वच्छ्न्द
जीवन, प्रात के लघुपात से,
उत्थान-पतनाघात से
रह जाए चुप,निर्द्वन्द।
5
अभी न होगा मेरा अन्त
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसन्त
अभी न होगा मेरा अन्त
हरे-हरे ये पात
डालियाँ, कलियाँ कोमल गात
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर
पुष्प-पुष्प से तन्द्रालस लालसा खींच लूँगा मैं।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant Tripathi Nirala Best Poems) हिंदी साहित्य जगत के एक प्रभावशाली महान कवि रहे है। इनके लेखन ने कवियों की पीढ़ियों को प्रेरित किया गया है। निराला जी की कविताओं में सुन्दरता, गहराई, आध्यात्मिकता और समाजिक प्रासंगिकता कूट कूटकर भरी होती हैं। छायावाद आंदोलन में इनके योगदान और अद्वितीय साहित्यिक लेखन विधा ने हिंदी भाषा के सबसे महत्वपूर्ण कवियों में से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का स्थान अजर अमर कर दिया है।