Ayodhya में 22 जनवरी को PM मोदी राम लला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे और इसके बाद वह नया अध्याय शुरू हो जाएगा जिसका सपना लोग कई सालों से देख रहे थे। इस मंदिर को लेकर BJP के साथ अन्य संगठन दिन रात इसकी तैयारी में लगे है और इसका आयोजन इतना भव्य होगा कि सदियों तक इसको याद रखा जाएगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है।
सरायरासी गांव के ठाकुरों की कसम
Ayodhya से 15 किमी दूर सरायरासी गांव में Ram Mandir बनने की खबर से लेकर अब तक बड़ी खुशियां मनाई जा रही है। इस गांव के लगभग सभी सूर्यवंशी ठाकुर 500 साल पहले ली गई एक कसम से आजाद होने जा रहे हैं जो उनके लिए जीत से कम नहीं है। इन ठाकरों के परिवार की कई पीढ़ियों का जीवन बिना पगड़ी पहनें ही खत्म हो गया। इस गांव के सभी सूर्यवंशी ठाकुर खुद को श्रीराम का वंशज मानते हैं। इन लोगों के पूर्वजों ने 500 साल पहले बाबर के हाथों मिली हार के बाद पगड़ी नहीं पहनने की कसम खाई थी।
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मीर बाकी से हुई टक्कर
साल 1528 में मुगल बादशाह बाबर का सेनापति मीर बाकी Ayodhya में एक मस्जिद बनवा रहा था और इसके लिए उसने रामकोट, यानी राम के किले की जगह का चुनाव किया। यहां पहले से भगवान राम का मंदिर था, जिसे मीर बाकी ने तुड़वा दिया था। इस घटना की खबर जब ठाकुरों को चली तो वह मीर बाकी की सेना से लड़ने निकल गए। दोनों के मध्य युद्ध हुआ जिसमें 80 हजार से ज्यादा सूर्यवंशी मारे गए और ठाकुरों की हार हुई। हार के बाद जब ठाकुर गजराज सिंह गांव लौटे तो महिलाओं ने उनको लेकर कई प्रकार की बात सुनाई।
इसके बाद पगड़ी की ओर इशारा कर कहा- जब तुम लोग Ram Mandir नहीं बचा पाए, तो ये पगड़ी किस अधिकार से पहन रहे हैं, इसको उतारकर फेंक दो। महिलाओं द्वारा जो अपमान किया इससे शर्मसार होकर ठाकुरों ने सौगंध ली कि जब तक राम लला का मंदिर नहीं बन जाता उनके वंश का कोई भी शख्स पगड़ी नहीं पहनेंगा। इस बात को 500 साल बीत गए और सूर्यवंशी ठाकुरों के 126 गांवों में किसी ने आज तक पगड़ी नहीं पहनी।
9वीं पीढ़ी में पूरी हुई कसम
इस वंश के लोगों का कहना है कि उनकी 8 पीढ़ियां तो बिना पगड़ी पहने ही चल बसी है। लेकिन अब उनको पगड़ी पहनने का मौका मिलेगा। इन गांवों में 500 साल से बेटियों की शादियों में मंडप नहीं बनाया जाता है जो लड़के दूल्हा बनते है वह भी बिना पगड़ी के ही रहते हैं। न कोई चमड़े के जूते पहनता है और न ही शान दिखाने कार्यक्रम किया जाता है।
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अग्रेजों ने भी स्वीकार किया इस युद्ध का जिक्र
ब्रिटिश अधिकारी कनिंघम ने बताया कि सूर्यवंशीय क्षत्रियों ने बाबर की सेना पर चढ़ाई करी और इस युद्ध में हजारों हिंदू शहीद हो गए। लेकिन बाबर की सेना जीत गई और सेनापति मीर बाकी मंदिर ध्वस्त करने के सफल हुआ।
राम मंदिर से 14 कोस में फैले क्षेत्र में रहते है सूर्यवंशी ठाकुर
राम मंदिर से 14 कोस में फैले गांवों में सबसे ज्यादा संख्या सूर्यवंधी ठाकुरों की बताई जाती है। इन सब में सबसे बड़ा गयांव सरायरासी है। ठाकुर किसी भी क्षेत्र के हो उनका बाहुबल किसी से छुपा नहीं है। वह लोग अपनी शान दिखाने के लिए वे सिर पर पगड़ी पहनते थे। लेकिन बाबर की सेना से मिली हार के बाद महिलाओं ने ठाकुरों को पगड़ी पहनने को लेकर सवाल खड़े किए तो शर्म के कारण पगड़ी पहनना ही त्याग दिया।
महिलाएं घूंघट नहीं निकालती
सरायरासी गांव में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी सिर नहीं ढंकने की कसम से बंधी हुई है। बताया जाता है कि गांव में कोई नई बहू आती है, तो उसे पूरा घूंघट नहीं रखने की अनुमति नहीं है। महिलाओं की मान्यता है कि जब तक रामलला का छत्र नहीं सज जाता, वे भी अपना पूरा सिर नहीं ढंकेंगी। शादी के समय सबसे ज्यादा जश्न का माहौल होता है कि लेकिन इस गांव में ऐसा नहीं होता है। लेकिन अब रामजी का मंदिर बन जाएगा, तभी मंडप छाएगा और लोग पगड़ी पहनेंगे।