जयपुर। राम मंदिर अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को धूमधाम से किया जा रहा है जिसको पूरा देश सेलिब्रेट कर रहा है। हालांकि, राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विशेष अतिथियों को भी बुलाया है जिनमें पीएम मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ और देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल हैं। इस कार्यक्रम में विविध प्रतिष्ठान, भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी (Tatvasi), द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में आए हैं। परंतु तातवासी शब्द को लेकर हर कोई चक्करघिन्नी हो रहा है कि आखिरी इसका मतलब है क्या।
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राम मंदिर कार्यक्रम में 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी (Tatvasi), द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों को बुलाया गया है। लेकिन तातवासी शब्द का मतलब कई लोगों नहीं पता। हालांकि, इंटरनेट पर सर्च करने पर भी तातवासी शब्द का अर्थ नहीं मिल रहा। ऐसे में मॉर्निंग न्यूज इंडिया ने इस शब्द की तह तक जाने की कोशिश की और तातवासी शब्द (Tatvasi Kon Hote Hai) के अर्थ का पता लगाया। तातवासी शब्द (Who is Tatvasi) के बारे में महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज, जयपुर में कार्यरत प्रोफेसर महेश चंद्र शर्मा ने बताया है कि तातवासी का मतलब (Tatvasi Meaning) एक ही वंश के लोग, एक ही खून के लोग यानि रघुवंशी परिवार व राज परिवार। उन्होंने इसका सीधा सा उदाहरण ठिकाणा तातवास बताया जो राजस्थान के नागौर जिले में स्थित है। इस राजपरिवार का नाता भी रघुवंश से बताया गया है। इसी तरह जयपुर का राज परिवार भी रघुवंशी है अतः ये भी तातवासी कहलाते हैं।
तातवासी का एक और अर्थ https://tatvasisamajnyas.org.in/ वेबसाइट पर जाने पर मिला है कि तत्ववासी। तत्ववासी या तातवासी समाज एक अलग ही समाज है। तातवासी समाज के न्यास को वर्ष 2006 में भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत पंजीकृत किया गया है। तत्ववासी समाज का शाब्दिक अर्थ है नदी के किनारे का निवास स्थान। दूसरे शब्दों में तत्ववासी का अर्थ है समाज के वंचित लोग। तत्ववासी समाज न्यास समाज के वंचित लोगों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। संगठन का स्वरूप सामाजिक कल्याण, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक है। हालांकि उपरोक्त दोनों में कौनसा अर्थ सही है इसकी पुष्टि अभी तक नहीं MorningNewsIndia नहीं करता है।
भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को किया जा रहा है।
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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्ति विशिष्ट अतिथि हैं।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में समाहित परंपरा जैसे शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि के प्रमुख व्यक्ति भी भाग ले रहे हैं।
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