Teesre Ashre ki Dua : माहे रमजान का दूसरा अशरा चल रहा है। रमजान के महीने को तीन हिस्सो में बांटा गया हैं, जिन्हें अशरा कहा जाता है। कहने का मतलब है कि पूरा रमजान तीन अशरों (Ramadan Ashra) में बंटा हुआ है। हर अशरे का अपना एक अलग ही महत्व (Ashra Significance) है। अभी रमजान का दूसरा अशरा चल रहा है। 11वें दिन से 20वें दिन तक दूसरा अशरा और 21वें दिन से 29वें या 30वें दिन तक तीसरा अशरा होगा। तो चलिए हम आपको रमजान के तीसरे अशरे की खास दुआ (Teesre Ashre ki Dua) बता रहे हैं, जिसे पढ़ने से आप जहन्नम की आग से निजात पा सकते हैं। इसी अशरे में शबे कद्र की रात आती है। तथा एतिकाफ में भी इसी अशरे में बैठा जाता है। वैसे ये दुआ आप रोजाना हर फर्ज नमाज के बाद भी पढ़ सकते हैं। ऐसे में आपको गैर रमजान में भी जहन्नम की आग से निजात की तौफीक मिलती रहेगी। हमें इसी तरह आप अपनी मख़्सूस दुआओँ में शामिल करते रहें।
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तीसरे अशरे की दुआ (Teesre Ashre ki Dua)
अल्लाहुम्मा अजिरनी मिनन नार
اَللَّهُمَّ أَجِرْنِي مِنَ النَّارِ
ऐ अल्लाह, मुझे जहन्नुम की आग से बचा
O Allah, save me from the hell fire
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तीसरा अशरा दोजख की आग से बचाव
तीसरे अशरे को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है। क्योंकि इसमें बंदे को जहन्नम यानी नर्क की आग से खुद को बचाने के मौका दिया जाता है। शबे कद्र और एतिकाफ के जरिये शदीद गुनाहों वाला मुसलमान भी इस तीसरे अशरे में अपनी मगफिरत करवाकर दोजख की आग से पनाह मांग सकता है। तीसरा अशरा 21वें दिन से 29वें या 30वें दिन तक होता है।
जहन्नम की आग कैसी है?
नरक जिसे इस्लाम में जहन्नम या दोजख कहा जाता है पापियों का ठिकाना है। जहन्नम की आग के बारे में हदीस में आता है कि ये आग दुनिया की आग से सत्तर गुना ज्यादा तेज होती है। अब आप सोच ले कि जब दुनिया की आग से हम पलभर में राख हो सकते हैं तो जहन्नम की आग किस कदर भड़कीली और शदीद तेज होगी। नबी ए करीम का फरमान है कि अगर जहन्नम की आग का एक कतरा भी जमीन पर पड़ जाएं तो सदियों तक वहां कुछ नहीं उग सकता है। यानी इतनी भयानक दोजख की आग से अल्लाह हमें बचाएं आमीन।