भारत अपने 4 साल पुराने अधूरे सपने को पूरा करने जा रहा है। 14 जुलाई यानि आज दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान-3 चांद पर जाने के लिए उड़ान भरेगा। चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफल होते ही भारत यह इतिहास रचने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन को इसमें सफलता मिल चुकी है। 2019 को लैंडर विक्रम के ब्रेकिंग थ्रस्टर में गड़बड़ी की वजह से क्रैश लैंडिंग हो गई।
लॉन्चिंग समय – 'चंद्रयान-3' के प्रक्षेपण के लिए 25.30 घंटे की उल्टी गिनती बृहस्पतिवार को शुरू हो गई। शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। यह पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा के लिए उड़ान भरेगा। चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के 40 दिन बाद 24-25 अगस्त को चांद पर उतरेगा।
बाहुबली रॉकेट से होगी लॉन्चिंग – चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए अपग्रेडेड बाहुबली रॉकेट तैयार किया गया है। इसे व्हीकल मार्क-3 (MV-3) से लॉन्च किया जाएगा। MV-3 का लॉन्चिंग सक्सेस रेट 100% है। जीएसएलवी 43.5 मीटर ऊंचा है।
ऐतिहासिक पल – भारत चंद्रमा पर राष्ट्रध्वज पहुंचाने वाला चौथा देश बन जाएगा। साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचने वाला पहला देश भी होगा। जहां पानी के अंश पाए गए हैं।
इसके बाद लैंडर रोवर प्रज्ञान को छोड़ेगा, जो एक लूनर डे (पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर) तक चंद्रमा की सतह पर घूमेगा। यह रोवर लैंडर के चारों तरफ 360 डिग्री में घूमकर कई सारे परीक्षण करेगा। इस दौरान रोवर के चलने से पहिए के जो निशान चंद्रमा की सतह पर बनेंगे, उनकी तस्वीर भी लैंडर भेजेगा।
चंद्रयान-3 615 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ है। इसकी लैंडिंग की जिम्मेदारी महिला वैज्ञानिक ऋतु करिधाल को सौंपी गई है। ऋतु करिधाल लखनऊ की रहने वाली है जो विज्ञान की दुनिया में भारतीय महिलाओं की बढ़ती धाक की मिसाल है।
बता दें कि चंद्रयान-1, चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन था जिसे अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया और वह अगस्त 2009 तक चालू रहा। इसके 2019 में चंद्रयान-2 छोड़ा गया लेकिन असफल रहा। चंद्रयान 2 की खामियों को ध्यान में रखते हुए इस बार पूरी तैयारी के साथ अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की जा रही है।