लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की जानकारी दी थी। आज सुबह जैसे ही सत्र शुरू हुआ, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा स्पीकर ऑफिस में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है। मोदी सरकार के खिलाफ यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। इससे पहले 2018 में भी यह प्रस्ताव लाया गया था।
पहला अविश्वास प्रस्ताव 2018 में
मोदी सरकार के खिलाफ 9 साल में विपक्ष की ओर से लाया गया दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है। इससे पहले 2014 से 2019 के कार्यकाल में मोदी सरकार के खिलाफ यह प्रस्ताव लाया गया था। 17वीं लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अभी तक कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया है। 16वीं लोकसभा में 20 जुलाई 2018 को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। जिसमें एनडीए सरकार ने जीत हासिल की थी। उस दौरान 325 सासंदो ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और 126 सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। इस तरह विपक्ष का पहला अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था।
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से तेलुगू देशम पार्टी एनडीए से अलग हो गई थी और बाद में अन्य विपक्षी पार्टियों की मदद से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। लोकसभा में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने नोटिस स्वीकार लिया गया था।
17वीं लोकसभा में यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है। लोकसभा में कांग्रेस के व्हिप मनिकम टैगोर ने बताया कि हम PM मोदी का घमंड तोड़ना चाहते थे। पीएम मोदी संसद में आकर मणिपुर पर बयान देने से बच रहे हैं। हमें लगता है कि इस आखिरी हथियार का इस्तेमाल करना हमारा कर्तव्य है।
कैसे लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा की प्रक्रिया और नियमों के मुताबिक नियम 198 के तहत सरकार के खिलाफ कोई भी सांसद अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। इसके बाद लोकसभा में इसे रखा जाता है। अगर सरकार संसद में अपना बहुमत सिद्ध नहीं कर पाती है तो सरकार गिर जाती है। इसके बाद मंत्री सहित पूरी सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।