Tilawat Meaning: रमजान का पाकीजा महीना चल रहा है। मुस्लिम भाई तीस दिन रोजे रखकर नमाज पढ़कर अल्लाह को खुश करने में मशगूल हैं। इस महीने में पवित्र कुरान शरीफ को आखिरी रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल किया गया था। यही वजह है कि रमजान में कुराने पाक की तिलावत पर खास जोर दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि तिलावत शब्द का क्या मतलब होता है। हम आपको तिलावत का अर्थ (Tilawat Meaning) और कुराने पाक का रमजान से कनेक्शन बताने जा रहे हैं। ताकि कलामे इलाही के सदके में हम सबके गुनाह माफ हो सके।
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तिलावत क्या होती है?
(Tilawat Meaning)
पाकीज़ा और मुक़द्दस धार्मिक किताब को पढ़ना ही तिलावत कहलाता है। ये एक अरबी शब्द है जिसे कुरान पढ़ने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यानी कुरान का पाठ ही तिलावत कहलाता है। रमजान में मुस्लिम बंधु जमकर कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं। बाकी महीने के मुकाबले कुरान की तिलावत का सवाब रमजान में कई गुना बढ़ा दिया जाता है।
कुरान मजीद के बारे में तथ्य
मुसलमानों की पवित्र किताब कुरआन मजीद नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर रमजान के मुबारक महीने में ही उतारी गई थी। फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन आखिरी नबी को वह्यी यानी आकाशवाणी के माध्यम से कुरान शरीफ सुनाते थे। धीरे धीरे सहाबा ने कुरान को जमा करके किताब की शक्ल दी। आज जो कुरान मजीद हमारे पास मौजूद हैं, वो सारी दुनिया में शब्द दर शब्द एक ही है। कयामत तक कुरान मजीद में एक भी शब्द की तब्दीली नहीं की जा सकती है।
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रमजान में कुरान शरीफ का महत्व
मुसलमानों की धार्मिक किताब पवित्र कुरान मजीद को अल्लाह ने लौहे महफूज से नबी ए करीम मोहम्मद मुसत्फा के ऊपर नाजिल किया था। कुरान मजीद में कुल 114 सूरतें हैं। एक सूरत में कई आयतें होती हैं। कुल तीस पारों में पूरी कुरान शरीफ को विभाजित किया गया है। रमजान में तरावीह की नमाज में भी कुरान शरीफ का पाठ सुनना सुन्नत है।
कुरान शरीफ पढ़ने के आदाब
कुरान शरीफ को घर में सबसे ऊंची और साफ सुथरी जगह रखना चाहिए। नापाकी की हालत में कभी भी कलाम पाक को न छुए। बल्कि अच्छी तरह वुजू या गुस्ल करने के बाद ही कुरान मजीद को हाथ में लेना चाहिए। कई लोग कुरान शरीफ को पढ़ते समय बाकी काम भी करते रहते हैं जो कि सरासर गलत है। आपको तिलावत करते हुए और दूसरा कोई भी अमल नहीं करना है। कुरान को हिंदी में समझने की कोशिश करें ताकि ये हर भारतीय मुसलमान के दिल में उतर सकें। अरबी में होने के कारण ज्यादातर मुस्लिम इसकी शिक्षाओँ से महरूम हो जाते हैं।