जीवन में अगर कुछ ठान लिया जाए तो कोई भी परिस्थिति उसे पूरा करने में बीच में नहीं आ सकती है। सपने हकीकत में बदले जा सकते हैं। ऐसा ही कर दिखाया था मिसाइल मैन यानि देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने। यही कारण है कि आज देश के युवा उन्हें अपना मोटिवेशनल गुरू मानते हैं। एपीजे कलाम जिंदगी में कभी हारे नहीं बल्कि विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी आगे बढ़ते रहे। कलाम का जीवन हमेशा लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है। आज ही के दिन 27 जुलाई, 2015 को एपीजे अब्दुल कलाम दुनिया को अलविदा कह गए थे। देश उनकी पुण्यतिथि पर आज उन्हें याद कर रहा है।
संघर्षों से लड़कर बनाई खास पहचान
कहते हैं कि हर सफल कहानी के पीछे कड़ी मेहनत और लगन होती है। कलाम ने भी अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना किया लेकिन कभी उनसे घबराए नहीं। कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वर में 1931 में हुआ था। उनका बचपन बेहद गरीबी में निकला। उनके पिता मछुआरे थे जिससे परिवार का पेट भरना भी मुश्किल था। कलाम ने महज 8 साल की उम्र में ही काम शुरू करके अपने पिता का साथ दिया। पढ़ाई में बचपन से ही उनकी रूचि थी। खुद कमाई करके पढ़ना चालू किया। रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप पर अखबार बेचने लगे। लगातार परेशानियां देखने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ते गए। एक दिन कलाम देश के सर्वोच्च भारत के 11वें राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने का था सपना
कलाम देश के राष्ट्रपति के साथ-साथ एक महान विचारक, लेखक और वैज्ञानिक भी रहे। देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। भारत के 11वें राष्ट्रपति (2002-2007) के रूप में उल्लेखनीय उपलब्धियां शामिल हैं। आज देश जिस आत्मनिर्भरता की बात करता वो सपना एपीजे कलाम ने देखा था। वो देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर देखना चाहते थे। वर्तमान में देश उनके सपने को साकार करने के लिए तेजी से अग्रसर है।
कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जाने-माने वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होनें 4 दशकों तक वैज्ञानिक विज्ञान के प्रशासक के रूप में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की देखभाल की। कलाम को बैलिस्टिक मिसाइलों और vehicle technology के विकास के लिए भारत में ‘मिसाइल मैन’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
कलाम की कहानी आज सारी दुनिया को इंस्पायर करती है। 27 जुलाई, 2015 को आईआईएम शिलांग में छात्रों को लेक्चर देते समय कलाम को दिल का दौरा पड़ा और हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गए। अपने अंतिम समय में भी वो देश के लोगों को राष्ट्र की मजबूती के लिए प्रेरित कर रहे थे।
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