केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल इन दिनों विवादित बयान से सुर्खियां बटोर रहे हैं। केंद्रीय कानून और न्याय राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने एक विवादित बयान दिया है। जिसमें उनका दावा है कि देश में, "सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है।"
उनका कहना है। कुछ लोग जो सार्वजनिक जीवन में उपराष्ट्रपति, कुलपति या राज्यपाल बनने है। कार्यकाल पूरा होने के बाद अपना असली मुखौटा उजागर कर देते हैं। मंत्री ने आरोप लगाया है की ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवियों का असली चेहरा तब उजागर होता है। जब वे सेवानिवृत्त हो जाते है, अथवा कार्यकाल पूरा कर लेते हैं।
पत्रकारों को पुरस्कृत करने के दौरान एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को आरएसएस के मीडिया विंग इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित देव ऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए यह विवादित टिप्पणी की, उन्होंने आगे कहा, ऐसे लोग सार्वजनिक जीवन में नकाब पहनकर जीने की रणनीति अपनाते हैं। उच्च पदों पर पहुंचते हैं। लेकिन जब वे रिटायर हो जाते हैं। तब अपना असली चेहरा उजागर करते हैं।
सहिष्णुता बनाम कट्टरता
इससे पहले सूचना आयुक्त उदय माहुरकर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे और उन्होंने कहा कि भारत को इस्लामिक कट्टरवाद से लड़ना चाहिए। लेकिन सहिष्णु मुसलमानों को साथ लेना चाहिए। अकबर की प्रशंसा के पुल बांधते हुए उन्होंने अकबर को हिंदू मुस्लिम एकता स्थापित करने वाला बताया। माहुरकर ने अकबर के शासन काल में छत्रपति शिवाजी की सकारात्मक भूमिका को उजागर करते हुए अकबर के प्रयासों की भी सराहना की।
वही बघेल ने माहुरकर की टिप्पणी को खारिज करते हुए अकबर के इन प्रयासों को केवल रणनीति बताया। साथ ही आरोप लगाया कि मुगल सम्राट की जोधाबाई के साथ शादी उसकी "राजनीतिक रणनीति" का भाग थी। धर्मांतरण के मुद्दे पर भी बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा, कि तलवार वालों की तुलना में ताबीज के माध्यम से धर्म परिवर्तन करने वालों की संख्या कहीं अधिक है। उन्होंने कहा उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। देश के सहिष्णु मुसलमान।