पत्रकारिता जगत का जाना माना चेहरा आज दुनिया से गायब हो गया है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वेद प्रताप वैदिक अब इस दुनिया से विदा ले चुके है। करीब 78 वर्ष की आयु में मंगलवार को उनका निधन हो गया है।
खबरों के मुताबिक बाथरुम में फिसल जाने के कारण उनका निधन हो गया। जब वे मंगलवार को सुबह नहाने गए तो काफी समय बाद भी बाहर नहीं निकले। इसके बाद फैमिली के सदस्यों ने बाथरुम का दरवाजा खटकटाया लेकिन अंदर से कोई रेस्पॉंस नहीं मिला। आखिर में दरवाजा तोड़कर अंदर गए तो वहां वैदिक बेसुध गिरे हुए थे। उन्हें तत्काल ही नजदीक के हॉस्पिटल में ले जाया गया लेकिन डॉक्टर्स ने कहा कि इनका निधन पहले ही हो चुका है।
हिंदी में पहला शोध लिखने वाले भारत के एकमात्र विद्वान
पत्रकारिता जगत में अपनी विशेष पहचान रखने वाले डॉ. वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को इंदौर में हुआ था। वैदिक भारत के एकमात्र ऐसे विद्वान थे, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिंदी में लिखा। वे कई बड़े मीडिया संस्थानों में संपादक भी रह चुके है।
वैदिक के नाम ये सम्मान
पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने कार्य का बखूबी करने वाले वेद प्रताप वैदिक को कई सम्मान से नवाजा जा चुका है। उन्होनें अपने संपूर्ण जीवन में विश्व हिन्दी सम्मान (2003), महात्मा गांधी सम्मान (2008), दिनकर शिखर सम्मान, पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण-पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार, हिन्दी अकादमी सम्मान, लोहिया सम्मान, काबुल विश्वविद्यालय पुरस्कार, मीडिया इंडिया सम्मान, लाला लाजपतराय सम्मान अपने नाम किए।