Woman Khatna : दुनिया का कोई भी धर्म हिंसा या किसी के साथ जोर जबरदस्ती करने की इजाजत नहीं देता है। लेकिन सालों से धर्म के नाम पर चली आ रही कुप्रथाओँ ने इंसानियत पर जमकर कुठाराघात किया है। मजहब के नाम पर लोग न जाने क्या क्या बर्बर तरीके अपनाते रहे हैं। मुस्लिम समुदाय की बात करें तो बाकी धर्मों की तरह इनमें भी कई कुरीतियां आज भी वैसे ही कायम है जैसे अरब के जहालत के दौर में कायम थी। आम तौर पर मुसलमानों में पुरुषों के खतना करते हैं, लेकिन आप जानकर चौंक जाएंगे कि कुछ देशों में महिलाओँ के भी खतना किया जाता है। भारत में भी ये प्रथा दाऊदी बोहरा समाज में प्रचलित है। इस कुप्रथा में महिलाओँ के गुप्तांगों (Woman Khatna) के साथ हैवानियत की जाती है।
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क्या है महिलाओं का खतना (Woman Khatna or FGM)?
मुस्लिम महिलाओँ के भी खतना किया जाता है। इसे ‘ख़फ़्ज़’ या ‘फ़ीमेल जेनाइटल म्युटिलेशन’ (एफ़जीएम) भी कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के मुताबिक, “एफ़जीएम के दौरान बच्ची या महिला के जननांग के बाहरी हिस्से को काट दिया जाता है। इस प्रक्रिया में महिला और बच्ची भयंकर दर्द से गुजरती है। भारत में भी दाऊदी बोहरा मुस्लिम जो कि गुजरात और राजस्थान के बांसवाड़ा इलाके में रहते हैं वे इस खतना कुप्रथा को आज तक अंजाम देते आ रहे हैं।
बोहरा मुस्लिम क्यों करते हैं?
बोहरा मुस्लिमों का यकीन हैं कि महिलाओँ में खतना करने से लड़कियों की यौन इच्छा कम हो जाती है। प्राइवेट पार्ट का वो हिस्सा जिसे क्लिटरिस कहा जाता है, उसे धारदार ब्लेड या चाकू से काट दिया जाता है। बोहरा समाज में इस पार्ट को ‘हराम की बोटी’ कहा जाता है। बोहरा मुस्लिम मानते है कि क्लिटरिस हटा देने से लड़की की यौन इच्छा कम हो जाएगी और वो शादी से पहले यौन संबंध नहीं बना सकती है।
मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है
दिसंबर 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमेंव महिलाओं में खतने (Woman Khatna or FGM) को दुनिया भर से ख़त्म करने की शपथ ली गई थी। महिला खतना के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसे रोकने की खातिर यूएन ने हर साल की 6 फ़रवरी को ‘इंटरनेशनल डे ऑफ़ ज़ीरो टॉलरेंस फ़ॉर एफ़जीएम’ घोषित किया हुआ है। लेकिन फिर भी दुनिया के कई देशों में आज भी महिलाएं दर्द का शिकार होती है।
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जिंदगी भर दर्द और पीड़ा होती है
खतना से महिलाओँ को शारीरिक तकलीफ तो उठानी ही पड़ती हैं, इसके अलावा अलग अलग मानसिक परेशानियां भी पैदा हो जाती है। वही खतना की वजह से औरतों की शादीशुदा जिंदगी पर भी बुरा असर पड़ता है। न तो वो पार्टनर को संतुष्ट कर पाती है, और मां बनने में भी उनको डर लगने लगता है। सहियो’ और ‘वी स्पीक आउट’ जैसी संस्थाएं भारत में महिला खतना को अपराध घोषित करने और इस पर बैन लगाने की काफी समय से मांग कर रही हैं।
भारत में रोक क्यों नहीं लग रही?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक FGM पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर संज्ञान लेते हुए महिला और बाल कल्याण मंत्रालय से जवाब तलब किया था। लेकिन मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि भारत में एनसीआआरबी (नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) में महिला खतना से सम्बन्धित कोई आधिकारिक आंकड़ा है ही नहीं। बस इसलिए सरकार इस बारे में कोई निर्णय नहीं ले सकती है। हमारा मानना है कि जैसे जन्म से पहले लिंग की जांच को अपराध घोषित किया गया, वैसे ही महिला खतना को भी अपराध घोषित कर देना चाहिए।
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दुनिया भर में फैली है ये कुप्रथा
महिलाओँ में खतना करने की ये बर्बर कुप्रथा पूरी दुनिया में फैली हुई है। अफ्रीका और इंडोनेशिया में तो मासूम बच्चियों का खतना कर दिया जाता है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, यूके, अमरीका, स्वीडन, डेनमार्क और स्पेन जैसे कई देश Woman Khatna को बहुत पहले ही अपराध घोषित कर चुके हैं। भारत में बोहरा समुदाय के मुस्लिमों में महिलाओं का खतना आज भी बदस्तूर जारी है। मिस्र ने साल 2008 में Woman Khatna प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन आज भी वहां इस तरह के मामले दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। हम आप सबसे अपील करते हैं कि इस तरह की कुप्रथा के खिलाफ खुलकर आवाज उठाए। क्योंकि इस्लाम कभी भी इंसानियत को नुकसान पहुंचाने की तालीम नहीं देता है। औरतों को इस्लाम में बहुत इज्जत दी गई है, लेकिन कुछ तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने मजहब के नाम पर खूब अज्ञानता और बर्बरता फैलाई है। हमारा उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना बिल्कुल नहीं है। फिर भी अगर आपको बुरा लगा हो तो हम दिल से माफी चाहते हैं, लेकिन अपने दिल पर हाथ रखकर जरा सोचे अगर यही किस्सा आपकी बहन बेटी और मां के साथ दोहराया जाए तो कैसा लगता है। सोचिए हजरात सोचने का मकाम है।