जयपुर। Halal Certification : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने हलाल सर्टिफिकेशन (Halal Certification) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इतना ही नहीं बल्कि इस मामले की पूरी जांच यूपी एसटीएफ को सौंपी है। इस वजह से बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर हलाल सर्टिफिकेट क्या है (What is Halal Certificate) और क्यों इस मुद्दे को लेकर मुस्लिम समुदाय हल्ला कर रहा है। वहीं, हिंदूओं के लिए यह हलाल सर्टिफिकेट मायने भी रखता है या नहीं। ऐसे में आइए जानते हैं इसके बारे में पूरी तरह…
हलाल सर्टिफिकेशन पर यूपी में विवाद
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स पर बैन (Halal Certificate Products Ban) लगा दिया है। इसके तहत हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पाद बेचने वाली कंपनियों पर राज्य के हजरतगंज थाने में FIR दर्ज की गई थी। जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ा। दरअसल, जिन लोगों ने हलाल प्रोडक्ट्स बैन की मांग की है उनका आरोप है कि धर्म की आड़ लेकर समुदाय विशेष में अनर्गल तरीके से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुस्लिमों को ये कहा गया था कि जो उत्पाद हलाल सर्टिफिकेट वाले नहीं हों उन्हें इस्तेमाल नहीं करें। इस वजह से दूसरे समुदाय लोगों के कारोबार पर असर पड़ रहा था। वहीं, कुछ कंपनियां हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर अनुचित तरीके से आर्थिक लाभ ले रही थी। इनमें से कुछ कंपनियां अपने आर्थिक फायदे के लिए ग्राहकों के बीच हलाल सर्टिफिकेट को लेकर भ्रम फैला रही हैं। इस कारण आपसी भाईचारा खतरे में पड़ रहा है।
हलाल सर्टिफिकेशन क्या है
दरअसल, ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ इस बात की गारंटी है कि इससे संबंधित कोई भी प्रोडक्ट मुस्लिमों के अनुसार बनाया गया है। इसका सीधा सा मतलब ये है कि उसमें ऐसी किसी चीज की मिलावट नहीं जिसे इस्लाम धर्म में ‘हराम’ (Haram In Islam) माना गया है। हलाल सर्टिफिकेशन शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के प्रोडक्ट के लिए होता है।
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कौन करता है फूड सर्टिफिकेशन
मुस्लिम देशों में किसी कंपनी को खाने-पीने का सामान बेचने के लिए ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ लेना होता है। दुनिया के कई इस्लामिक देशों में सरकार द्वारा हलाल सर्टिफिकेट दिया जाता है। जबकि, भारत में FSSAI यानि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण सभी खाद्य पदार्थों का सर्टिफिकेशन करता है। हालांकि, वह हलाल सर्टिफिकेट नहीं देता है। इसके बावजूद देश में कुछ प्राइवेट कंपनियां हलाल सर्टिफिकेशन देती हैं। इन कंपनियों में हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जमीयत उलेमा ए हिंद और जमीयत उलेमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट शामिल है।
हलाल सर्टिफिकेशन नाम क्यों
आपको बता दें कि हलाल अरबी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ ‘वैध’ होता है जिसका प्रमुख रूप से यूज इस्लाम धर्म के लोगों और उनके भोजन कानून (विशेष रूप से मांस) के लिए किया जाता है। इस्लाम धर्म में कुछ चीजों को नहीं खाने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। इसका मतलब इन चीजों को मुस्लिमों के लिए खाना हराम माना जाता है। जैसे कि मुस्लिम को हलाल मांस (Halal Meat) खाने की इजाजत दी गई है, लेकिन वो झटका मांस (Jhatka Meat) नहीं खा सकते।
झटका और हलाल मीट में अंतर
हलाल मीट वो होता है जिसमें जानवर को तेज धारदार हथियार से धीरे-धीरे धीरे—धीरे यानि रेत कर मारा जाता है जिसके बाद उसका मांस खाने के लिए उपलब्ध होता है। जबकि, झटका मांस वो होता है जिसमें जानवर को एक झटके में काट दिया जाता है। हिंदू धर्म में जो लोग मीट खाते हैं उनके लिए झटका मीट खाने की इजाजत है। ऐसे में वो हलाल मीट या अन्य प्रोडक्ट नहीं खा सकते।
हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर खेल
उत्तर प्रदेश में कुछ कंपनियां हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर खेल कर रही हैं। ये कंपनियां कपड़े, डेयरी उत्पाद, चीनी, नमकीन, मसाले और साबुन समेत कई सारी वस्तुओं को हलाल सर्टिफाइड कर रही थी। इसके बाद सीएम योगी ने इस मामले में स्वयं संज्ञान में लिया और यह कार्रवाई की।