- क्या होते हैं लैग्रेंजियन बिंदु ?
- L1 बिंदु पर किस तरह काम करेगा सूर्य मिशन?
- लैग्रेंजियन बिंदु से क्यों किया जा रहा है सूर्य अध्यन?
Aditya L1 Mission: चंद्रयान-3 (Pragyan Rover) की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज शनिवार,2 सितंबर 2023 को सूर्य तक पहुंचने के लिए अपने Aditya L1 Mission को लॉन्च करने जा रहा है। इसे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन को लॉन्च करने का उद्देश्य सूर्य के ताप और उसके निकटम तारों का गहनता से अध्यन करना हैं। पूरी दुनिया की नजरें अब भारत के इस मिशन पर है। भारत का यह सूर्य मिशन Aditya L1 सूर्य पर नहीं बल्कि उसके निकटतम लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) पर भेजा जा रहा है। इस बात को जानना बेहद जरुरी है।
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क्या होते हैं लैग्रेंजियन बिंदु ?
लैग्रेंजियन बिंदु अंतरिक्ष में स्तिथ होते है। अंतरिक्ष में ये कुल पांच है, जिन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 के रूप में परिभाषित किया गया है। लैग्रेंजियन बिंदु वो होते है जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी करने का काम करते है। इन बिंदुओं में गुरुत्वाकर्षण के तहत एक छोटी वस्तु दो बड़े पिंडों के बीच संतुलन बनाने का काम करती है। अंतरिक्ष में L1, L2 और L3 लैग्रेंजियन बिंदु उस रेखा पर मौजूद है, जो सूर्य और पृथ्वी के केंद्रों को जोड़ने का काम करती है। वहीं L4 और L5 लैग्रेंजियन बिंदु दोनों बड़े पिंडों के केंद्रों के साथ दो समबाहु त्रिभुजों के शीर्ष बनाते हैं।
L1 बिंदु पर किस तरह काम करेगा सूर्य मिशन?
अंतरिक्ष में स्तिथ जिस L1 बिंदु पर इस मिशन को भेजा जाना है, वह दो बड़े पिंडों के बीच स्थित है। ये दो पिंड सूर्य और पृथ्वी हैं। दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण बल बराबर लेकिन विपरीत हैं। इसी बिंदु पर Aditya L1 Mission को स्थापित किया जाएगा।
लैग्रेंजियन बिंदु से क्यों किया जा रहा है सूर्य अध्यन?
अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए लैग्रेंजियन बिंदु काफी उपयोगी हैं। यहां काफी कम ऊर्जा वाली कक्षाएं होती है। इन बिंदुओं से अंतरिक्ष के कुछ क्षेत्रों को बिना किसी परेशानी के देखा जा सकता है। सूर्य-पृथ्वी का ध्यान करने के लिए L1 बिंदु किसी भी अंतरिक्ष यान को सूर्य का निरीक्षण करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह हैं। दूसरी तरफ सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के L2 बिंदु से दूरबीन के जरिये स्पष्ट गहरे दृश्य देखे जा सकते है।
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