जयपुर। भारत के हर प्रमुख नगर में इस्कॉन मंदिर जरूर दिखाई देगा। इस्कॉन मंदिर यह शब्द सुनने में भले ही अंग्रेजी का प्रतित होता है मगर इसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। इस्कॉन के पूरे भारत में 800 मंदिर है तथा अन्य देशों में भी काफी सारे मंदिर मौजूद है। इस्कॉन का पूरा नाम अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ है।
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सोसायटी के रूप में करता है काम
इस्कॉन मंदिर नहीं है बल्कि यह कई मंदिरों का एक समूह है। यह एक सोसायटी के रूप में काम कर रहा है। इस्कॉन की स्थापना श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने की थी। जिसके बाद से यह एक सोसायटी के रूप में काम कर रहा है।
हर साल आयोजित होत है बैठक
कृष्णभक्ति को फैलाने के लिए इस्कॉन मंदिर खोले गए थे। इस्कॉन ट्रस्ट का कोई मालिक नहीं है। 1977 में इसके संचालक श्रील प्रभुपादन ने एक ग्रुप की स्थापना की थी। जिसे गवर्निंग बॉडी कमीशन के नाम से जाना जाता है। इसकी बैठक हर साल आयोजित की जाती है। यह बैठक पश्चिम बंगाल के मायापुरा में होती है। यहा हर प्रस्ताव को वोटिंग के जरीए पास किया जाता है।
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50 सालों में मंदिर का प्रसार तेजी से
इस्कॉन का हर मंदिर अपना कामकाज खुद देखता है। पिछले 50 सालों में इस्कॉन मंदिर का प्रसार तेजी से हुआ है। दुनियाभर में इस्कॉन के 500 बड़े सेंटर, मंदिर तथा ग्रामीण समुदाय है। इसकॉन की और से जगह-जगह गोशालाएं चलाकर गोसेवा की जाती है।