- मोदी सरकार ने 6 साल में कर दिया 47 साल का काम
- UPI पर आया वर्ल्ड बैंक का दिल
- यूपीआई को बड़े पैमाने पर अपनाया गया
- भारत को डीबीटी से भारी बचत
- वर्ल्ड बैंक ने की तारीफें
- भारत के 41 साल बचाए डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर ने
जयपुर। भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक ऐसा काम सिर्फ 6 सालों में कर दिया जिसे करने में हमारे देश को 47 साल लग जाते। यह बात वर्ल्ड बैंक (WB) ने जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) के आयोजन की खुशी से झूमते हुए भारत की प्रशंसा में कही है। विश्व बैंक ने कहा भारत ने जन धन बैंक खाते, आधार और मोबाइल फोन (JAM ट्रिनिटी) के उपयोग से वित्तीय समावेशन दर को 80% तक प्राप्त करने में केवल 6 वर्ष का टाइम लिया है, जिसके लिए इस तरह के डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) के बिना 47 साल लग सकते थे। वर्ल्ड बैंक ने जी20 के लिए एक पॉलिसी डॉक्युमेंट तैयार किया है जिसमें उसने भारत में जारी आर्थिक गतिविधियों की खूब प्रशंसा की है विशेषकर डिजिटल इंडिया की।
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UPI पर आया वर्ल्ड बैंक का दिल
विश्व बैंक के दस्तावेज के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50% के बराबर मूल्य का यूपीआई ट्रांजैक्शन हुआ है। डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्राक्चर ने नए ग्राहक पर बैंकों का खर्च लगभग खत्म कर दिया है। इसमें कहा गया है कि डीपीआई के उपयोग से भारत में बैंकों के ग्राहकों को शामिल करने की लागत 23 डॉलर (करीब 1,900 रुपये) से घटकर 0.1 डॉलर (करीब 8 रुपये) हो गई है।
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यूपीआई को बड़े पैमाने पर अपनाया गया
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में कहा गया है, 'यूपीआई को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है, जिसे यूजर अनुकूल इंटरफेस, ओपन बैंकिंग सुविधाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी का फायदा मिला है। यूपीआई प्लैटफॉर्म ने भारत में जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल की है; मई 2023 में ही 9.41 अरब लेनदेन हुए, जिनकी कीमत लगभग 14.89 लाख करोड़ रुपये थी। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यूपीआई ट्रांजैक्शन का कुल मूल्य भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50% था।'
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भारत को डीबीटी से भारी बचत
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने पिछले एक दशक में डीपीआई का लाभ उठाते हुए दुनिया के सबसे बड़े डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। रिपोर्ट कहती है, 'इस पहल ने 53 केंद्रीय मंत्रालयों से 312 प्रमुख योजनाओं के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के खाते में 361 अरब डॉलर (करीब 30 हजार अरब रुपये) का ट्रांजैक्शन सुलभ कर दिया। मार्च 2022 तक, इसने कुल 33 अरब डॉलर (करीब 2,738 अरब रुपये) की बचत की, जो जीडीपी के लगभग 1.14% के बराबर है।'
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वर्ल्ड बैंक ने की तारीफें
विश्व बैंक ने वित्तीय समायोजन के लिए वैश्विक साझेदारी (GPFI) के एक इम्प्लेमेंटिंग पार्टनर के रूप में जीपीएफआई डॉक्युमेंट तैयार किया है। इसमें भारत के वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से उपलब्ध कराई गईं जानकारियां शामिल हैं। भारत जी20 शिखर सम्मेलन में डिजिटल पेमेंट और फाइनैंशल इन्क्लूजन के मोर्चे पर अपनी सफलताओं की गाथा भी बताने जा रहा है।
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भारत के 41 साल बचाए डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर ने
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है भारत ने डिजिटल आईडी, अंतर-संचारी भुगतान, डिजिटल क्रेडेंशियल्स लेजर और खाता एकत्रीकरण जैसी व्यवस्थाओं को मिलाकर डिजिटल पेमेंट का शानदार इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया है। 'इसने छह साल में 80% का जबर्दस्त फाइनैंशल इन्क्लूजन रेट हासिल किया है। यह ऐसी उपलब्धि है जिसे डीपीआई की पहल के बिना हासिल करने में लगभग 5 दशक लगता।'