क्या आप जानतें हैं विश्व धरोहर दिवस क्यों मनाया जाता है?
वे कौन कौन से घटक हैं जिनकी वजह से किसी स्थान को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया जाता है? क्या है इसकी प्रक्रिया और इसका इतिहास। साथ ही जानेंगे वे कौन-कौन सी चुनौतियां हैं? जिनकी वजह से आज भी हमारा देश अन्य देशों से पिछड़ा हुआ है?
जब कोई क्षेत्र समृद्धशाली, सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखता है। तब उसका महत्व बढ़ जाता है। यह उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य वाले स्थान होते हैं। जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी विरासत स्थल है। ऐसे विरासत स्थल हमें हमारे गौरव पूर्ण इतिहास, समृद्धशाली भविष्य की झलकियां दिखाते हैं। यह मूर्त-अमूर्त धरोहरों का एक खजाना है। जिसे हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को सौंपना है। ऐसे में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 ए( सब सेक्शन एफ) में स्पष्ट कहा गया है कि हम अपनी समग्र संस्कृति की समृद्ध धरोहर का सम्मान करेंगे और उसे सुरक्षित संरक्षित रखने में अपनी महती भूमिका निभाएंगे। प्रत्येक भारतीय का यह कर्तव्य होना चाहिए।
सच बात है क्या हम सिर्फ अधिकार प्राप्त करने के लिए ही पैदा हुए हैं? हमारी संस्कृति, समृद्धिशाली सभ्यता, गौरवपूर्ण इतिहास की धरोहरों को सुरक्षित संरक्षित रखना क्या हमारा दायित्व नहीं बनता?
विश्व धरोहर का क्या महत्व होता है?
जब किसी स्थान को अथवा साइट को विश्व धरोहर की सूची में नामबंद कर दिया जाता है। तब उसका अंतरराष्ट्रीय महत्व बढ़ जाता है। अंतरराष्ट्रीय महत्व बढ़ जाने से उस स्थान पर पर्यटन की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती है। ऐसे में राष्ट्र को कोशिश करनी चाहिए कि वह अपनी समृद्धशाली धरोहर को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में नामांकित करवाएं।
18 अप्रैल 2023 विश्व धरोहर दिवस जिसकी थीम है हेरिटेज चेंजेज, हर साल इसकी अलग-अलग थीम होती है। जो जागरूकता और उन साइट्स को सुरक्षित, संरक्षित रखने में अपनी महती भूमिका निभाती है।
क्या प्रक्रिया है?
किसी भी साइट अथवा स्थान को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। नामांकन दस्तावेज में कुछ ऐसे आधार होते हैं। जिनकी वजह से यूनेस्को किसी स्थान को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित करता है। इसके लिए यूनेस्को का एक पैनल वहां का दौरा करता है। उसके बाद उसे पहले अस्थाई लिस्ट में शामिल करता है। फिर अपने निर्धारित मानकों के आधार पर उसे स्थाई सूची में शामिल कर लिया जाता है। जैसे द वर्ल्ड सिटी ऑफ जयपुर को यूनेस्को की विरासत में भेजने का प्रस्ताव भारत ने 5 साल पहले लिया था। साथ ही आपको यह भी पता होना चाहिए कि यूनेस्को की गाइडलाइन के तहत कोई भी देश प्रतिवर्ष 1 साल में एक स्थान को ही वर्ल्ड हेरिटेज साइट में भेज सकता है।