Yoga in Islam Namaz : आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। हर शख़्स यहाँ योग से निरोग होने की बात कर रहा है। योग का जिक्र वेद, पुराणों, उपनिषदों, भगवत गीता जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। महर्षि पतंजलि ने योग को जन-जन तक पहुंचाया। इतना ही नहीं खाड़ी देशों जैसे सऊदी अरब दुबई कुवैत कतर इत्यादि में भी अब योग को अनिवार्य किया जा रहा है। हालांकि हमारे देश में तथाकथित टीवी मौलानाओं तथा कट्टरपंथी मुसलमान द्वारा योग का लगातार विरोध (Yoga in Islam Namaz) किया जाता रहा है। जबकि हकीकत में नमाज भी एक तरह का योगासन ही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक मुसलमान दिन भर में कितनी बार नमाज के दौरान योग करता है। आप यह पोस्ट अपने मुस्लिम मित्र तक जरूर पहुंचाएं।
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नमाज में मुसलमान कितनी बार योग करता है? (Yoga in Islam Namaz)
इस्लाम में नमाज के दौरान साधारण योग की ही कई अलग-अलग क्रियाएं की जाती हैं। एक बंदा दिन भर में पांच नमाजें अदा करता है। कुल मिलाकर दिन भर में 48 रकात नमाज एक मुसलमान अदा करता है। नमाज़ की हर रकात (नमाज का एक चक्र) में किरात, रुकूअ, सज़्दा और कयाम यानी कुल मिलाकर योग की अलग-अलग 7 मुद्राएं होती हैं। मतलब की एक बंदा दिन भर में 5 वक़्त की नमाज के दौरान 336 बार अलग-अलग तरह के योगासन (Yoga in Islam Namaz) करता है। खास तौर पर जो सजदे के बाद कयाम किया जाता है उसमें मुसलमान ताड़ासन की मुद्रा में काफी देर तक बैठता है जो कि उसके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। यानी अगर कोई मुसलमान पाबंदी के साथ पांच वक्त की नमाज उम्र भर अदा करता रहे तो उसे कोई भी बीमारी छू तक नहीं सकती। ताज्जुब की बात है कि आजकल इस्लाम के नाम पर सबसे ज्यादा योग का विरोध किया जाता है।
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नमाज का वक्त भी अपने आप में खास है
एक मुसलमान के लिए दिन भर में पांच वक्त की नमाज पढ़ना फर्ज होता है। यानी मुसलमान का दिन में पांच वक्त की नमाज पढ़ना बहुत ज्यादा जरूरी है। पांच नमाजों का वक्त भी इसी तरह रखा गया है कि इंसान को दिन भर में व्यायाम (Yoga in Islam Namaz) की जो भी जरूरत होती है वह इसे पूरी हो जाती है। सूरज निकलने से पहले ‘फ़र्ज़’, सूरज सिर पे आया जाए तो ‘जुहर’, ढलना शुरू हुआ और प्रत्येक चीज का साया अपने जैसा हो तो ‘असर’, सूरज अस्त हो तो ‘मगरिब’ और सूरज डूबने के बाद रात होने पर ‘ईशा’। इस तरह इस्लाम में नमाज का वक्त भी बहुत मायने रखता है।
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मुसलमानों को भी योग दिवस में शामिल होना चाहिए
अब मुद्दे की बात पर आते हैं। आजकल कुछ मुसलमानों द्वारा योग का विरोध किया जाता है। योग की उत्पत्ति भले ही सनातन धर्म से हुई हो, जिसके बाद बौद्ध और जैन धर्म ने अपनाया हो, लेकिन एक मुसलमान अगर योग का फायदा उठाना चाहे तो उसमें कोई हर्ज नहीं है। मुसलमान को एक ही बात पर ऐतराज़ होता है कि उन्हें सूर्य नमस्कार (Why Muslim Protest Yoga) नहीं करना है। क्योंकि इस्लाम में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के अलावा किसी और की पूजा मान्य नहीं है। साथ ही मुसलमान योग के दौरान मंत्र भी नहीं पढ़ना चाहते हैं। हमने इस समस्या का एक समाधान सोचा है कि अगर किसी मुसलमान को योग करना है तो वह मंत्र की जगह कुरान की आयतों का उच्चारण कर सकता है और निरोग रह सकता है। विश्व योग दिवस (World Yoga Day 21 June 2024) भारत ही नहीं बल्कि सऊदी अरब जैसा इस्लामिक देश भी मना रहा है। मुसलमानों को भी इसमें दिल से शरीक होना चाहिए, क्योंकि यह भारत की प्राचीन गंगा जमुनी तहज़ीब की पहचान है और इसकी महत्ता को आज पूरा विश्व समझ रहा है। यह हमारे देश के लिए गौरव की बात है। योग को मज़हब के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। क्योंकि अब योग कसरत नहीं बल्कि विज्ञान का हिस्सा बन चुका है।
नोट – यह जानकारी हमने तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत की है। हमारा उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना नहीं है। फिर भी अगर हमसे कोई त्रुटि हुई है तो हम आपसे क्षमा चाहते हैं। लेकिन इस बारे में सोचें जरूर खुले दिमाग से। और अपनी आने वाली नस्लों को एक सेहतमंद मुस्तक़बिल सौंपे।