Rajasthan News : जयपुर। राजस्थान में बिजली संकट बड़ी समस्या है। गर्मियों के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में 10-15 घंटे तक लाइट काटी जाती है। चाहें सरकार बीजेपी की हो या कांग्रेस की, लेकिन बिजली संकट की समस्या हमेशा बनी रहती है। वहीं प्रदेश में बिजली तंत्र को सुदृढ़ करने के नाम पर 237 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। राजस्थान में 42 जीएसस ग्रिड सब स्टेशन बनाने के नाम पर यह फटका लगाया गया है। आइए जानते है क्या है पूरा मामला?
उच्चस्तरीय कमेटी की जांच में हुआ खुलासा
बता दें कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में जारी निविदा घोटाले की स्क्रिप्ट लिखी गई है। इसमें डिस्कॉम के अफसरों और अनुबंधित कंपनी की मिलीभगत सामने आई है। बिडमूल्यांकन कमेटी ने भी सही आंकलन करने की बजाय आंख बंद कर ली। डिस्कॉम की उच्चस्तरीय कमेटी की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बता दें कि जांच रोकने के लिए कुछ बड़े नेताओं ने दबाव बनाया है। 2 महीने तक जांच रिपोर्ट दबा दी गई थी, निर्माण कार्य रोकने के बजाय चलने दिया। इस मामले में भजनलाल सरकार अब एक्शन की तैयारी में है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने दर्ज परिवाद के मुताबिक डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक से फरवरी में तथ्यामक रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि इसके बाद कमेटी गठित कर जांच शुरू हुई। इसके बाद कमेटी गठित कर जांच शुरु हुई। रिपोर्ट 2 महीने पहले सौंपी जा चुकी है लेकिन उच्चाधिकारी दबाए बैठे रहे।
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मिलीभगत से जारी किया गया दो अलग-अलग टेंडर
बता दें कि GSS के निर्माण के लिए एक ही टेंडर लगाया जा सकता था। लेकिन चहेती कंपनी आर.सी एंटरप्राइजेज को काम मिलने की संभावना कम होती है। इसलिए मिलीभगत कर दो अलग-अलग टेंडर निकाले गए। ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक से मामले की रूपरेखा पूछी तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया। फिर मोबाइल पर एसएमएस भेजा तो डिस्कॉम्स सीएमडी आरती डोगरा से बात करने के लिए कहा, सीएमडी आरती डोगरा से बात की। उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जताई गई।
दोषियों को बख्सा नहीं जायेगा: ऊर्जा मंत्री
ऊर्जा मंत्री हीरालाल मंत्री ने कहा है कि इस मामले में शिकायत आई थी। जिसे जांच के लिए उच्चाअधिकारियों को भेजा था। हालांकि अभी तक मुझे जांच रिपोर्ट नहीं मिली है, अगर गड़बडी हुई है तो दोषियों को बख्सा नहीं जायेगा।
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