जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अधिकतर समय अपने ही मंत्रियों की ओर से घेरे जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के समय राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी में खूब राजनीतिक उबाल मारा। वहीं अब खुद सीएम गहलोत ने एक रहस्य से पर्दा उठाया है। उन्होनें जोधपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कोर्ट में हमारे ही वकील ने संजीवनी घोटाले में मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को क्लीन चिट दे दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी गहलोत अपने ही मंत्रियों के कारण घेरे जा चुके हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के कई सारे रहस्यों से चुनाव से पहले पर्दा उठ सकता है।
गहलोत के मंत्री ने शेखावत को बताया निर्दोष
इस केस के बारे में बात यह है कि कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने संजीवनी घोटाले में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को निर्दोष बताया। सिंघवी ने राजस्थान सरकार की ओर से पैरवी करते हुए कहा कि संजीवनी घोटाले में मोदी सरकार के मंत्री का कोई हाथ नहीं है। जबकि इस केस में मुख्यमंत्री गहलोत खुद शेखातव को आरोपी बता चुके हैं। गहलोत का कहना है कि अभी तक यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर जांच एजेंसी के पास पुख्ता सबूत होने के बाद भी हमारे वकील ने कोर्ट में शेखावत को निर्दोष कैसे बता दिया? गहलोत सरकार के ऐसे कई सारे उलझे हुए मामले है जिनसे पर्दा उठते ही सब चौंक जाएंगे।
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कांग्रेस के 85 विधायकों ने किसके कहने पर की थी बगावत?
25 सितंबर 2022 को कांग्रेस पार्टी में हुई बड़ी घटना को कांग्रेस का कोई भी नेता नहीं भुला सकता। एक साथ 85 विधायकों का पार्टी के साथ बगावत करना आज भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कहने पर सीएम आवास पर मीटिंग रखी गई थी जिसमें कांग्रेस के सभी विधायक एक लाइन का प्रस्ताव पास करते कि मुख्यमंत्री पर फैसला हाईकमान करेगा। लेकिन 85 विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के यहां पहुंचकर अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को भेज दिया। ऐसा माना जाता है कि इससे गहलोत की कुर्सी जा सकती थी। इस घटना पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर रहस्य बना हुआ है।
वसुंधरा-गहलोत के बीच सियासी पेंच?
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ अशोक गहलोत का क्या सियासी सांठगांठ है जो पहले तो सचिन पायलट के साथ राजे पर भ्रष्टाचार के जमकर आरोप लगाए और सत्ता में आने के बाद एकदम चुप हो गए। इस मामले में सचिन पायलट ने सीएम गहलोत के खिलाफ जयपुर में विरोध प्रदर्शन किया. धरना दिया लेकिन गहलोत टस से मस नहीं हुए। वसुंधरा पर कार्रवाई की मांग का मुद्दा उठाने के 3 महीने बाद भी कोई एक्शन नहीं हुआ।
हाईकमान की परमिशन के बिना सचिन पायलट की पर क्यों चली तलवार?
2018 में कांग्रेस की जीत हुई। लेकिन इस जीत के पीछे सचिन पायलट का बड़ा हाथ था। सीएम फेस के तौर पर पायलट को लाकर पार्टी ने ताबड़तोड़ वोट बैंक हासिल किया। लेकिन बाद में कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को सीएम की कुर्सी सौंपी। इसके बाद पायलट को डिप्टी सीएम बने और 2020 में पायलट ने बगावत कर दी। यह समझौता हुआ था कि आखिरी 1 साल के लिए पायलट को सीएम बनाया जाएगा लेकिन गहलोत-पायलट के बीच अनबन के चलते संभव नहीं हुआ। ऐसा माना जाता है कि राहुल और प्रियंका ऐसा कभी नहीं चाहते थे फिर हाईकमान के न चाहते हुए भी पायलट कैसे निपट गए?
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